भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री और लगभग पूरा मंत्रिमंडल बदला जा चुका है, लेकिन मुख्यमंत्री और मंत्रियों के नए होने के कारण बड़ी संख्या में तबादले नहीं किए गए थे। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाने के कारण तबादलों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। 4 जून को लोकसभा चुनाव की मतगणना होने के बाद 6 जून को आचार संहिता समाप्त हो रही है। आचार संहिता समाप्त होने के बाद जून अंत से नया शैक्षणिक सत्र भी शुरू हो रहा है। ऐसे में स्थानांतरण प्रक्रिया बहुत लंबी नहीं चलने वाली है। मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि 15 दिन के लिए तबादलों पर लगा प्रतिबंध हटाए जाने की तैयारी है। विभागों ने तबादलों को लेकर तैयारी भी शुरू कर दी है।
सरकार ने अभी घोषित नहीं की तबादला नीति
चुनावी वर्ष होने के कारण आचार संहिता लागू है, इसलिए राज्य सरकार तबादलों को लेकर नीति की घोषणा नहीं की है। आमतौर पर सरकार तबादलों पर प्रतिबंध हटाने से पहले नई तबादला नीति को कैबिनेट की मंजूरी के बाद घोषित करती है, उसी में कितने दिन तबादला होना है और किस स्तर के कर्मचारी-अधिकारी के तबादले का अधिकार अधिकारियों को, जिले के प्रभारी मंत्री को होंगे, इसका भी उल्लेख रहता है। तबादलों से प्रतिबंध हटते ही विभाग सीधे मुख्यमंत्री समन्वय को प्रस्ताव भेजकर आवश्यकता के अनुसार तबादले कर सकेंगे। इसके लिए सामान्य प्रशासन, लोक निर्माण समेत विभिन्न विभागों ने तैयारियां शुरू कर दी है। बताया जाता है कि नई तबादला नीति में गंभीर बीमारी, प्रशासनिक, स्वेच्छा सहित अन्य आधार स्थानांतरण को प्राथमिकता मिलेगी।
मानसून सत्र से पहले बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी
जानकारी के अनुसार, लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने और आचार संहिता हटने के बाद पिछले छह माह से लगा तबादलों पर लगा प्रतिबंध छह जून 2024 को हट जाएगा। इसके बाद विभाग प्रशासकीय आधार पर तबादले कर सकेंगे। वल्लभ भवन में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले की तैयारी शुरू हो गई हैं। हालांकि अभी तक मध्य प्रदेश शासन की स्थानांतरण नीति जारी नहीं हुई है, लेकिन मानसून सत्र के बाद जारी होने की संभावना है इससे साफ हो जाएगा कि किस आधार पर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के तबादले होंगे। फिलहाल मध्य प्रदेश में आधिकारिक तौर पर मुख्यमंत्री समन्वय से अनुमति के बाद ही किसी कर्मचारी का तबादला हो सकता है। दरअसल, मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करने के लिए कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही तबादलों पर प्रतिबंध लग गया था। इसके चलते राज्य सरकार चुनाव कार्य में संलग्न 65 हजार बूथ लेवल ऑफिसर, कलेक्टर, कमिश्नर, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक समेत कई संवर्गों के अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले चुनाव आयोग की अनुमति के बाद नहीं कर सकती थी, लेकिन इस अवधि में केवल उन्हीं अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले हुए जो प्रशासकीय दृष्टि से बहुत आवश्यक थे।
पसंद के अधिकारियों के लिए जमावट शुरू
प्रदेश सरकार के कई मौजूदा मंत्री ऐसे हैं, जिनका अपने विभाग के प्रमुख सचिवों, सचिवों या अन्य अधिकारियों से पटरी नहीं बैठ पा रही है। कुछ अधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें पसंद नहीं किया जा रहा है। इसके साथ ही जिलों में स्थानीय नेताओं से पटरी नहीं बैठा पाने वाले, शिकायतों या किसी अन्य कारणों से विवादों में आए अधिकारियों को भी बदले जाने की तैयारी है। इसी बीच विधायकगण भी अपने-अपने क्षेत्र के कार्यों को सहजता और प्राथमिकता से कराने के लिए पसंद के अधिकारियों की क्षेत्र में जमावट को लेकर तैयारी कर रहे हैं। वहीं कई मंत्रियों ने भी अपने विभाग में पसंद के अधिकारियों की पदस्थापना को लेकर भी इच्छा जाहिर कर चुके हैं।