लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान से पहले CEC बोले- देश के लिए आज महत्वपूर्ण दिन

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।18वीं लोकसभा के लिए निर्वाचन आयोग (ईसी) आज दोपहर तीन बजे चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करेगा। इसके साथ ही देशभर में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। संभावना है कि 543 सीटों के लिए सात या आठ चरणों में मतदान कराया जाएगा। आयोग कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की भी घोषणा कर सकता है। लोकसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र जारी होने से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा, “आज महत्वपूर्ण दिन है। देश के लिए आज दोपहर 3 बजे से आम चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी।

ईवीएम से ही होंगे चुनाव 

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के कामकाज में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिका पर विचार से शुक्रवार को इनकार कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, यह कोर्ट पहले ही कई बार इसकी जांच व ईवीएम से जुड़े कई मुद्दों पर विचार कर चुकी है। पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, हम कितनी याचिकाओं पर विचार करेंगे? हाल में, हमने वीवीपीएटी से जुड़ी याचिका पर विचार किया था। हम धारणाओं पर नहीं चल सकते। हर पद्धति के अपने सकारात्मक और नकारात्मक बिंदु हैं। अनुच्छेद-32 के तहत हम इस पर विचार नहीं कर सकते। जस्टिस खन्ना ने कहा कि अदालत ने इस मुद्दे पर 10 से अधिक बार परीक्षण किया है।

97 करोड़ मतदाता कर सकेंगे अपने हक का उपयोग

इस चुनाव में करीब 97 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। देशभर में 12 लाख से अधिक मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। आयोग के अनुसार, मतदाता सूची में 18 से 29 साल की उम्र वाले दो करोड़ नए मतदाता जोड़े गए हैं।

 

सात चरणों में हुआ था पिछला आम चुनाव

2019 में चुनाव की तारीखों का एलान 10 मार्च को हुआ था। मतदान सात चरणों में 11 अप्रैल से 19 मई के बीच कराया गया, जबकि वोटों की गिनती 23 मई को हुई थी। उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में सात चरणों में मतदान हुआ था। वहीं, 22 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशाें में एक ही चरण में वोट पड़े थे। 2014 में चुनाव की तारीखों की घोषणा 5 मार्च को हुई थी। 7 अप्रैल से 12 मई तक 9 चरणों में चुनाव हुए थे। 16 मई को परिणाम घोषित किए गए थे।

विपक्षी गठबंधन के लिए करो या मरो की स्थिति

पिछले चुनाव में भाजपा 303 व कांग्रेस 52 सीटों पर जीती थी। कांग्रेस लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष पर दावा करने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं जुटा सकी थी। लिहाजा, इस चुनाव को विपक्षी गठबंधन के लिए करो या मरो की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है।

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