न्याय यात्रा से किस मंजिल पर पहुंचेगी कांग्रेस? भाजपा को चुनौती देने के लिए बनाई ये रणनीति

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भोपाल। लोकसभा चुनाव 2024 के ठीक पहले कांग्रेस ने ‘भारत न्याय यात्रा’ शुरू करने की घोषणा कर दी है। 14 जनवरी को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस यात्रा को मणिपुर से रवाना करेंगे, जो 14 राज्यों से गुजरते हुए 20 मार्च को मुंबई में समाप्त होगी। यात्रा मणिपुर, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात से होते हुए महाराष्ट्र पहुंचेगी। ये वे राज्य हैं, जहां कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन की आगामी लोकसभा चुनाव में संभावनाएं बेहतर हो सकती हैं। कांग्रेस का मानना है कि राहुल गांधी की इस यात्रा से पूरे इंडिया गठबंधन समूह को लाभ होगा। साथ ही राहुल गांधी को भी राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत और लोकप्रिय नेता के रूप में उभारने में मदद मिल सकती है।

कांग्रेस ने अपनी इस यात्रा को भारत न्याय यात्रा नाम दिया है। साथ ही यात्रा में मणिपुर, मेघालय और असम जैसे राज्य शामिल हैं। चूंकि, मणिपुर में लंबे समय तक विवाद चलता रहा था, इस यात्रा का असर गैर भाजपाई वोटरों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभा सकता है। इस तरह कांग्रेस पूर्वोत्तर में अपनी जड़ों को दोबारा मजबूत करने की कोशिश करती हुई दिखाई पड़ रही है। उसे इस रणनीति का लाभ मिल सकता है।

ये है पूरा कार्यक्रम

  • 14 जनवरी से शुरू होगी राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा
  • 14 जनवरी को मणिपुर से शुरू होगी यात्रा, मुंबई में 20 मार्च को होगा समापन
  • 14 राज्यों से गुजरेगी 6,200 किलोमीटर की यात्रा
  • इंफाल में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे दिखाएंगे यात्रा को हरी झंडी
  • 28 दिसंबर को कांग्रेस के स्थापना दिवस के मौके पर नागपुर में “हैं तैयार हम” महारैली

इंडिया गठबंधन से भाजपा को जिन राज्यों में सबसे ज्यादा चुनौती मिल सकती है, वे राज्य पश्चिम बंगाल, बिहार और महाराष्ट्र ही हो सकते हैं। पश्चिम बंगाल की 42 सीटों में भाजपा ने पिछली बार 18 सीटों पर सफलता हासिल की थी। लेकिन जिस प्रकार पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पूरे विपक्ष ने मिलकर लड़ाई लड़ी और भाजपा को बड़ी बढ़त बनाने से रोक दिया, यदि उसी प्रकार का गठबंधन लोकसभा में भी काम कर पाया, तो भाजपा के लिए अपनी पुरानी संख्या को बरकरार रख पाना भी बड़ी चुनौती बन सकता है। राहुल गांधी की न्याय यात्रा ममता बनर्जी की ताकत बढ़ाने वाली और भाजपा की परेशानी को बढ़ाने वाली हो सकती है।

इसी प्रकार 2019 में जदयू-लोजपा के साथ चुनाव लड़ते हुए भाजपा ने बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 39 सीटों पर सफलता प्राप्त की थी। लेकिन बदले समीकरणों में नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के मजबूत चेहरों में शामिल हैं। 2015 बिहार विधानसभा चुनाव का अनुभव बताता है कि भाजपा को इस बार यहां कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इस बार बिहार में तेजस्वी यादव की राजद, नीतीश कुमार की जदयू, कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़ाई लड़ते हुए दिखाई पड़ेंगे। ऐसे में बिहार में भी राहुल गांधी इंडिया गठबंधन की आवाज मजबूती से लोगों तक पहुंचाने में मदद कर सकते हैं।

48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में पिछले चुनाव में भाजपा के साथ शिवसेना की ताकत थी। लेकिन नए समीकरणों में उसके साथ कांग्रेस और एनसीपी की टूटी हुई ताकत उसके साथ होगी। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता है कि इस चुनाव में उसे महाराष्ट्र में कितना लाभ मिलेगा। शिवसेना का वोटर एकनाथ शिंदे की बजाय उद्धव ठाकरे को वोट कर सकता है। इसी प्रकार एनसीपी के परंपरागत मतदाता शरद पवार के साथ एकजुट हो सकते हैं। ऐसे में महाराष्ट्र में भी इंडिया गठबंधन की ताकत बढ़ सकती है। और संभवतया यही कारण है कि कांग्रेस ने एक सोची समझी रणनीति के अनुसार अपनी यात्रा का समापन महाराष्ट्र में करने का निर्णय किया है। इसका लाभ कांग्रेस और इंडिया गठबंधन दोनों को मिलेगा।

मोदी के सामने राहुल

इस बार के चुनाव में यह प्रश्न बार-बार उछल रहा है कि भाजपा के नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस या इंडिया गठबंधन के पास कोई चेहरा नहीं है। लेकिन जिस तरह भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी को लोकप्रियता मिली थी, माना जा सकता है कि भारत न्याय यात्रा से उस छवि को मजबूती ही मिलेगी। ऐसे में यदि 2024 में के छोड़ दें, तो भविष्य के चुनावों में कांग्रेस के पास एक चेहरा होगा जो भाजपा के किसी भी चेहरे का मुकाबला करेगा।

चूंकि, नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री के रूप में यह अंतिम कार्यकाल हो सकता है, ऐसे में आने वाले समय में भाजपा से जो भी चेहरा प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल होगा, वह अपेक्षाकृत नया होगा। ऐसे में माना जा सकता है कि कांग्रेस एक सोची समझी रणनीति के साथ राहुल गांधी को भविष्य की रणनीति को ध्यान में रखते हुए तैयार कर रही हो। आने वाले समय में उसे इसका लाभ मिल सकता है।

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