BJP ने मांगी मतदान केंद्रों पर मोबाइल फोन ले जाने की छूट, कांग्रेस ने मत पत्र से चुनाव का सुझाव दिया

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भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिए सभी राज्यों में स्थानीय राजनीतिक दलों से फीडबैक लेना शुरू किया है। इसी कड़ी में बुधवार को मध्य प्रदेश में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की बैठक आयोजित की। इस बैठक में भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने सुझाव आयोग के समक्ष रखे। भाजपा ने चुनाव प्रक्रिया में कुछ बदलाव की आवश्यकता जताई। भाजपा ने कहा कि मतदान केंद्रों पर मोबाइल फोन लाने की अनुमति दी जाए, क्योंकि युवाओं के आधार, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज अक्सर उनके डीजी लॉकर में होते हैं। इससे उन्हें अपने दस्तावेजों के लिए बार-बार कार्यालयों में जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
वहीं, कांग्रेस ने ईवीएम पर संदेह व्यक्त करते हुए सुझाव दिया कि चुनाव बैलेट पेपर के माध्यम से कराया जाए। कांग्रेस ने यह भी कहा कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कुछ अन्य सुधारों की जरूरत है। कांग्रेस के अनुसार, वीवीपेड मशीन से निकली पर्ची की समय सीमा 7 सेकंड से बढ़ाकर 10 सेकंड की जाए। मतदान के दौरान ईवीएम मशीन के मॉक पोल को दिन में कम से कम 2 से 3 बार किया जाए। इसके अलावा, मतदाता का नाम बाहर जाने पर पंचनामा बनाकर उसका सत्यापन किया जाए। कांग्रेस ने डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम सर्च करने का प्रोग्राम निरंतर चलाने का भी सुझाव दिया। इसके साथ ही, रंगीन फोटोयुक्त मतदाता सूची को राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराए जाने की मांग की। कांग्रेस ने यह भी कहा कि मतदाता का थंब इंप्रेशन लेकर ही उसे मतदान की अनुमति दी जाए और आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निराकरण के लिए प्रभावी सेल गठित किया जाए।

भाजपा ने भी कुछ अन्य सुझाव दिए। भाजपा ने कहा कि चुनाव घोषित होने के बाद पोस्टरों और बैनरों को हटाने के लिए स्पष्ट गाइडलाइन तैयार की जानी चाहिए। इसके अलावा, चुनावी खर्च के संदर्भ में मतदान और मतगणना में लगे एजेंट के खर्च को प्रत्याशी के चुनावी खर्च से बाहर किया जाना चाहिए। भाजपा ने यह भी प्रस्तावित किया कि मकानों की संख्या की राष्ट्रीय स्तर पर नीति बनाई जाए। साथ ही, कर्मचारियों के मतदान को पोस्टल बैलेट के बजाय ईवीएम से कराया जाए। भाजपा ने यह भी सुझाव दिया कि घर के मुखिया के नाम पर घर के मतदाता सदस्यों का नाम भेजा जाए, जिससे इसकी जांच की जा सके। निर्वाचन आयोग ने इन सुझावों पर विचार करने का आश्वासन दिया और कहा कि चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और सुचारू बनाने के लिए सभी सुझावों को गंभीरता से लिया जाएगा।

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