भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड ने मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए पर्यवेक्षक तय कर दिए हैं। मध्यप्रदेश के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण, राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा के नाम तय किए गए है। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े राजस्थान जाएंगे और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सर्वानंद सोनोवाल और राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम छत्तीसगढ़। उनकी मौजूदगी में विधायक दल का नेता चुना जाएगा।
तीन दिसंबर को चार राज्यों के चुनावों के नतीजे घोषित हुए हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने बहुमत हासिल किया है। मध्यप्रदेश में भाजपा विधायक दल की बैठक 10 दिसंबर को बुलाई गई। यहां पर दिल्ली से आने वाले पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में बैठक होगी, जिसमें मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस खत्म हो जाएगा। इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश विजयवर्गी ने भी रविवार तक मुख्यमंत्री के नाम से सस्पेंस खत्म होने के संकेत दिए थे।
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ ही कैलाश विजयवर्गीय को भी मुख्यमंत्री पद का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। मध्यप्रदेश की 230 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा ने 163 सीटें जीती हैं, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 66 सीटें मिली हैं। एक सीट भारत आदिवासी पार्टी ने जीती है। पार्टी ने तोमर और पटेल समेत सात सांसदों को चुनावों में उतारा था। केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला के निवास सीट पर विधानसभा चुनाव हारे हैं। इसके साथ ही गणेश सिंह को भी सतना में कांग्रेस प्रत्याशी के सामने हार का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा सीधी की सांसद रीति पाठक (सीधी), जबलपुर के सांसद राकेश सिंह (जबलपुर पश्चिम), होशंगाबाद के सांसद राव उदय प्रताप सिंह (गाडरवारा) में जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जो सांसद विधानसभा चुनाव जीते हैं, उन्हें पार्टी सांसदी छोड़ने को कह सकती है। ऐसे में उन्हें भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार समझा जा रहा है।
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ ही कैलाश विजयवर्गीय को भी मुख्यमंत्री पद का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। मध्यप्रदेश की 230 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा ने 163 सीटें जीती हैं, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 66 सीटें मिली हैं। एक सीट भारत आदिवासी पार्टी ने जीती है। पार्टी ने तोमर और पटेल समेत सात सांसदों को चुनावों में उतारा था। केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला के निवास सीट पर विधानसभा चुनाव हारे हैं। इसके साथ ही गणेश सिंह को भी सतना में कांग्रेस प्रत्याशी के सामने हार का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा सीधी की सांसद रीति पाठक (सीधी), जबलपुर के सांसद राकेश सिंह (जबलपुर पश्चिम), होशंगाबाद के सांसद राव उदय प्रताप सिंह (गाडरवारा) में जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जो सांसद विधानसभा चुनाव जीते हैं, उन्हें पार्टी सांसदी छोड़ने को कह सकती है। ऐसे में उन्हें भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार समझा जा रहा है।
शिवराज बोले- जो पार्टी कहेगी वह करने को तैयार
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है। हालांकि, वह कुछ समय पहले यह बयान दे चुके हैं कि वह न तो कभी मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे और न ही आज हैं। पार्टी का जो भी आदेश होगा, वह उन्हें स्वीकार है। इसके बाद उन्होंने यह भी कहा कि वह दिल्ली नहीं बल्कि छिंदवाड़ा जाएंगे। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने छिंदवाड़ा छोड़कर सभी 28 सीटों पर जीत हासिल की थी।
शिवराज का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मजबूत करने के लिए वे छिंदवाड़ा जाएंगे। शिवराज के अलावा पार्टी का कद्दावर ओबीसी चेहरा और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल भी रेस में हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के लंबे प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए उन्हें जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। केंद्रीय संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे विजयवर्गीय को भी पार्टी ने विधानसभा चुनाव लड़ाया है। राजनीतिक हलकों में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कुछ अन्य नामों को भी मुख्यमंत्री की दौड़ में उम्मीदवार माना जा रहा है।