चंडीगढ़। हरियाणा के जनादेश ने देश को फिर चौंकाया है। लगातार तीसरी बार ऐसी ऐतिहासिक जीत की कल्पना शायद भाजपा ने भी नहीं की होगी। 2014 में 47 सीटें मिलने पर उसने पहली बार हरियाणा में अपने दम पर सरकार बनाई थी। इस बार पार्टी वह आंकड़ा भी पार कर गई। सतह पर जो माहौल था, उसके आधार पर एग्जिट पोल से लेकर तमाम अनुमान कांग्रेस के पक्ष में थे। मगर, भाजपा ने चुपचाप, धीरे-धीरे माइक्रो मैनेजमेंट से मैदान मार लिया। उम्मीदवारों के चयन, प्रचार से लेकर जातीय समीकरणों को लेकर पार्टी की रणनीति काम कर गई। अति विश्वास में रही कांग्रेस जातीय ध्रुवीकरण की दोधारी तलवार का खुद ही शिकार हो गई। कांग्रेस की हार ने साबित कर दिया कि केवल सत्ता विरोध के सहारे चुनावी नैया पार नहीं लगाई जा सकती, संगठन और जमीनी स्तर पर काम जरूरी है। नतीजों ने साफ कर दिया है कि क्षेत्रीय दलों के लिए राज्य की सियासी जमीन अब उपजाऊ नहीं रही है।
Sign in
Sign in
Recover your password.
A password will be e-mailed to you.