बांग्लादेश में हिंसा को देखते हुए भारत ने गठित की कमेटी, भारतीयों की सुरक्षा के लिए करेगी काम

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नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने और लगातार हो रही हिंसा के बाद भारत सरकार ने बड़ी पहल की है। बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार की खबर के बाद गृह मंत्रालय ने एक कमेटी का गठन किया है। कमेटी बांग्लादेश में रहने वाले भारतीयों, हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सुविधाओं को लेकर वहां के गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ वार्ता करेगी। साथ ही भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर सुरक्षा और मौजूदा स्थिति की समीक्षा करेगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि बांग्लादेश के मौजूदा हालात को देखते हुए मोदी सरकार ने कमेटी का गठन किया। कमेटी का अध्यक्ष सीमा सुरक्षा बल पूर्व क्षेत्र के एडीजी को बनाया गया है। इसके अलावा बीएसफ दक्षिण बंगाल के आईजी, आईजी बीएसफ त्रिपुरा, भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण के योजना और विकास विभाग के सदस्य और सचिव कमेटी में सदस्य होंगे। दरअसल बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथी लगातार हिंदू समुदाय को निशाना बना रहे हैं। सोमवार से शुरू हुए हमलों में अब तक सैकड़ों हत्याएं हो चुकी हैं। हमलों के डर से तमाम हिंदू परिवार सामूहिक पलायन करने को मजबूर हो गए हैं।

भारत में प्रवेश करना चाह रहे सैकड़ों बांग्लादेशी हिंदू
पश्चिम बंगाल की सीमा से लगते बांग्लादेश के ठाकुरगांव और पंचगढ़ इलाकों में हजारों हिंदू भारत में प्रवेश करने के लिए जमा हो गए हैं। पंचगढ़ के अटवारी उपजिला के अंतर्गत अलोखावा संघ के अध्यक्ष मोजाकरुल आलम कोच्चि ने बताया कि ठाकुरगांव और पंचगढ़ के विभिन्न इलाकों में हजारों हिंदू बरशालुपारा सीमा के पास पहुंचे हैं। उनका कहना है कि हमलावरों ने उनके घर, दुकान और मंदिरों से कीमती सामान लूट लिया है। इसके साथ ही चेतावनी दी है कि अगर वापस लौटे, तो जान से मार दिया जाएगा। मोजाकरुल ने बताया कि बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड के कर्मियों के अनुरोध के बावजूद हिंदू परिवार घर लौटने को तैयार नहीं हैं, जबकि भारतीय सीमा में प्रवेश के लिए उनके पास वीजा नहीं है। उन्होंने बताया कि फिलहाल सीमा पर करीब 5 हजार से ज्यादा लोग होंगे।

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