फूलेगा चीन का दम! सेमीकंडक्टर हब बनने की ओर भारत

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मुंबई। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल की एक समिति ने 10 अरब (83,947 करोड़) के बड़े निवेश प्रस्ताव को हरी झड़ी दे दी है। यह परियोजना टावर सेमीकंडक्टर और अडानी ग्रुप के बीच साझेदारी में संचालित होगी। दोनों कंपनियां मिलकर एक जॉइंट वेंचर बनाएंगी जो महाराष्ट्र के पनवेल में एक सेमीकंडक्टर चिप निर्माण फैक्ट्री की स्थापना करेगी। यह सेमीकंडक्टर निर्माण यूनिट नवी मुंबई के रायगढ़ जिले में होगी। पहले चरण में इसकी क्षमता 40,000 वेफर स्टार्ट्स प्रति माह (डब्ल्यूएसपीएम) होगी, और परियोजना के पूरा होने पर कुल क्षमता 80,000 डब्ल्यूएसपीएम तक पहुंचने की उम्मीद है।
दरअसल मोदी सरकार ने राज्यों को अपने सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करने की स्वतंत्रता दी है, लेकिन केंद्र सरकार की योजना के तहत प्रोत्साहन की उम्मीद रखने वाले सभी आवेदकों को आईएसएम से अनुमति प्राप्त करनी होती है। यदि इस परियोजना को मंजूरी मिलती है, तब यह भारत की दूसरी चिप मैन्युफैक्चरिंग सुविधा और भारत का छठा सेमीकंडक्टर संयंत्र होगा जो चिप्स का उत्पादन या परीक्षण और पैकेजिंग करता है।
इस सप्ताह की शुरुआत में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कर्नाटक के मैसूर में स्थित कंपनी केंस सेमीकंडक्टर द्वारा प्रस्तुत एक प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसमें 3,307 करोड़ की लागत से एक आउटसोर्स्ड असेंबली और टेस्टिंग यूनिट स्थापित की जाएगी। यह यूनिट गुजरात के साणंद में स्थापित होगी और इसकी कुल क्षमता 6.3 मिलियन चिप्स प्रति दिन होगी। वर्तमान में भारत में केंद्रीय सरकार द्वारा अनुमति प्राप्त पांच सेमीकंडक्टर परियोजनाएं हैं। इसमें एक चिप फैब्रिकेशन यूनिट धोलेरा, गुजरात में निर्माणाधीन है, और चार चिप पैकेजिंग यूनिट शामिल हैं। इन चार में से तीन साणंद, गुजरात में हैं और एक मोरिगांव, असम में स्थित है। इन यूनिट्स में कुल प्रस्तावित निवेश 1.50 लाख करोड़ है।

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