नई दिल्ली। कई भारतीय बंदरगाहों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है। इन बंदरगाहों पर कंटेनरों को जहाजों पर चढ़ाने और उतारने वाले क्रेन ज्यादातर चीनी कंपनी के बनाए हुए हैं। जेपीएमसी पर चीन सरकार का नियंत्रण है।असल चिंता ये है कि चीनी कंपनी जेपीएमसी का भारत सहित दुनिया भर के बंदरगाहों के महत्वपूर्ण उपकरणों पर दबदबा है। अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर 75-80 प्रतिशत और भारत में भी इतना ही बाजार जेपीएमसी का है। 2020 तक भारत के कई बंदरगाहों पर, जिनमें जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह भी शामिल है, जेपीएमसी की 250 से ज्यादा क्रेनें लगी हुई हैं। इसी वजह से अमेरिका और भारत दोनों ही चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहे हैं।
अमेरिका द्वारा की गई हाल की जांच से खुलासा हुआ है कि जेपीएमसी इन क्रेनों का इस्तेमाल जासूसी करने या बंदरगाहों को नुकसान पहुंचाने के लिए कर सकता है। जेपीएमसी ने इन आरोपों को खारिज किया है लेकिन जांच अभी जारी है। यह देखना बाकी है कि जेपीएमसी के एकाधिकार से भारत के बंदरगाहों को वाकई कितना खतरा है। अमेरिका को लगता है कि चीन के हैकर्स उसके बंदरगाहों पर हमला कर सकते हैं, इस वजह से वे चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं। फरवरी 2023 में, अमेरिकी राष्ट्रपति ने बंदरगाहों की साइबर सुरक्षा बढ़ाने और अगले 5 सालों में बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए एक कार्यकारी आदेश जारी किया। इस सुधार में अमेरिका में ही क्रेन बनाने पर भी ध्यान दिया जाएगा।
भारत सरकार ने 2020 में राष्ट्रीय सुरक्षा के चलते चीन समेत उन देशों से सरकारी खरीद पर रोक लगा दी थी जिनसे भारत की जमीनी सीमा लगती है। इस आदेश के तहत चीन की कंपनियों को सरकारी टेंडर हासिल करने के लिए कड़े रजिस्ट्रेशन और मंजूरी की प्रक्रिया से गुजरना होता है। मगर ये पाबंदी पूरी तरह कारगर नहीं हुई है। जेपीएमसी की वेबसाइट के विश्लेषण से पता चलता है कि जुलाई 2020 के बाद भी उन्होंने भारत के बंदरगाहों के लिए कम से कम 29 क्रेन भेजी हैं। इनमें से 11 अडानी समूह के विदेशी बंदरगाह परियोजना के लिए थीं। गौर करने वाली बात ये है कि ये पाबंदी सिर्फ सरकारी खरीद पर लागू होती है, निजी कंपनियां अभी भी चीन से सामान खरीद सकती हैं। तो कुल मिलाकर, जेपीएमसी अभी भी भारत में खासकर निजी क्षेत्र की परियोजनाओं में काम कर रही है। 2020 में सरकार द्वारा चीन से सरकारी खरीद पर रोक लगाने के बावजूद, जेपीएमसी भारत में क्रेन भेजना जारी रखे हुए है।