मुआवजा घोटाला: सिंगरौली में 8 प्रोजेक्ट में 750 करोड़ का भ्रष्टाचार

पूर्व मंत्री कमलेश्वर, सांसद अजय प्रताप के परिजन ने खरीदी सस्ती जमीन

258

सिंगरौली। सरकारी परियोजनाओं और जमीन अधिग्रहण में नेता और अफसरों का गठजोड़ किस तरह गड़बड़ियां कर रहा है, इसका ताजा उदाहरण सिंगरौली में सामने आया है। यहां कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री, राज्यसभा सदस्य, मेयर और पूर्व विधायकों ने बड़ी परियोजनाओं और कंपनियों के लिए जमीन अधिग्रहण का फायदा उठाने के लिए रातोरात औने-पौने दाम में करोड़ों की जमीन खरीदी। खास बात यह है कि ये जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना से ठीक पहले खरीदी गई। वे कभी यहां रहे भी नहीं, फिर भी अफसरों ने मुआवजा पारित कर दिया।  यहां की 5 परियोजनाओं में करीब 740 करोड़ का भ्रष्टाचार होने की बात सामने आ रही है। यह रैकेट बड़े मुआवजे का लालच देकर जमीनों का सौदा कर रहा है। सिंगरौली में अभी करीब 8 परियोजनाएं चल रही हैं।

भाई ने 32 लाख में खरीदी, फिर 3 करोड़ मुआवजा पारित : कमलेश्वर पटेल 

6 जून 2021 को धिरौली कोल माइंस में भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू हुई थी। स्थानीय किसान सुरेश शाह और अन्य से कमलेश्वर पटेल के भाई अजीत सिंह के नाम 13 फरवरी 2022 को 1 एकड़ जमीन 32 लाख रुपए में खरीदी गई। दो दिन बाद ही कलेक्टर ने धारा 11 का प्रकाशन किया। इसके बाद अजीत सिंह को 3 करोड़ रुपए का मुआवजा पारित हुआ। इसी कोल माइन में पटेल की पत्नी प्रीति पटेल, बेटा ईशान पटेल, बेटी ईशा पटेल और भाई अजीत सिंह की ग्राम आमडांड, बासी बैरदह और अमरईखोह की जमीन करीबियों के नाम करवाकर तीन करोड़ का मुआवजा स्वीकृत कराया। कमलेश्वर पटेल के भाई अजीत सिंह ने कहा- मैंने कई जगह जमीनें ली हैं। इसमें गलत क्या है? मैं इनमें निवेश करता हूं। यहां कई नेता- अफसरों की जमीनें हैं।

पीए, पत्नी, पुत्र व भाई के नाम 20 करोड़ का मुआवजा

राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह के पुत्र लवलेश रतन, कुलशेख रतन सिंह, भाई, भतीजे और भजीती संध्या सिंह के अलावा पीए दधीचि सिंह, दधीचि की पत्नी सुषमा व करीबियों ने सिंगरौली रेल, बधा, अमीलिया, सुरिलिया और धिरौली कोल माइंस परियोजनाओं में करीब 20 करोड़ का मुआवजा लिया। इन्होंने परियोजना शुरू होने के बाद खेतिहर जमीन खरीदी और उस पर थोड़ा-बहुत निर्माण कराकर मुआवजा लिया। इस संबंध में अजय प्रताप सिंह और उनके पीए से बात करने की कोशिश की, पर उन्होंने जवाब नहीं दिया।

रानी अग्रवाल, मेयर : जिस जमीन पर बेटे-देवर को मुआवजा, वह दूसरे की

रानी अग्रवाल के बेटों संस्कार और स्वागत अग्रवाल के नाम से 16.21 लाख रुपए, देवर विकास चंद्र के नाम 11 लाख का मुआवजा मिला। यह जमीन पेडरवाह गांव में खसरा भोलानाथ पुत्र रामधनी कुर्मी की थी। अमिलिया कोल माइंस का मुआवजा 2009 में पारित होने के बाद कंपनी का पुनः अर्जन 31/08/19 को अवार्ड पारित किया गया। इसमें 1,778 मकान और जोड़ने के साथ 67 करोड़ का मुआवजा बढ़ाया गया। इनमें 90% लोगों को दूसरे की भूमि पर मुआवजा मिला, जो भू-अर्जन एक्ट का उल्लंघन है।

पूर्व विधायक के बेटे-बेटी के नाम 14 लाख मुआवजा

धिरौली कोल माइंस में चुरहट से पूर्व विधायक की पत्नी व बेटे के नाम 67,942 व 67,942 रुपए तो बेटी वर्तिका के नाम खसरा नंबर 13.99 लाख का मुआवजा बना। अधिसूचना से पहले जमीन खरीदी। पूर्व विधायक शरदेंदु तिवारी ने कहा कि बेटी ने अपने भाई के लिए जमीन खरीदी। पत्नी ने भी पिता से पैसे लेकर जमीन ली थी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.