कर्नाटक में सरकार के बाद भी लोकसभा में कांग्रेस संकट में
राज्य के नेताओं ने माना, जातीय गणना से होगा नुकसान
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में इसबार दक्षिण का किला अहम भूमिका निभाएगा। भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीद कर्नाटक से है, वहीं कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन की संभावना भी इसी राज्य पर टिकी हुई है। विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस को लोकसभा में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।
कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटें हैं। वर्ष 2019 में भाजपा ने 25 सीट पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी। एक साल पहले विधानसभा में शानदार जीत के बाद कांग्रेस करीब 15 सीट जीतने की तैयारी कर रही है। इस लक्ष्य को हासिल करना आसान नहीं है, क्योंकि कर्नाटक में विधानसभा से लोकसभा चुनाव के बीच सियासी समीकरण बदल चुके हैं। चुनावी हार-जीत में लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय अहम भूमिका निभाता रहा है। लिंगायत 18 और वोक्कालिगा 14 फीसदी है पर, यह दोनों समुदाय आधी-आधी सीट पर असर रखते हैं। विधानसभा में वोक्कालिगा समुदाय ने कांग्रेस का ने समर्थन किया था। क्योंकि, उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी इसी समुदाय से हैं, पर उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनने से यह तबका नाराज है।
विधानसभा में पेश जातीय गणना ने भी इन समुदायों में नाराजगी बढ़ा दी है। रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई है, पर रिपोर्ट पर लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय ने कड़ा विरोध जताया है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डीके भी पहले इस रिपोर्ट का विरोध कर चुके हैं। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2015 में सर्वे शुरू किया था। लेकिन सत्ता बदलने के बाद रिपोर्ट विधानसभा में पेश नहीं हो सकी थी।
प्रदेश कांग्रेस नेता मानते हैं कि विधानसभा से लोकसभा के बीच स्थितियां बदली हैं। कानून व्यवस्था और बजट के कुछ प्रावधानों ने भाजपा को कांग्रेस पर निशाना साधने का मौका दिया है। लिंगायत वोक्कालिगा समुदाय की नाराजगी से भी पार्टी की राजनीतिक चुनौती बढ़ी है। इसके साथ भाजपा-जेडीएस के गठबंधन से भी दोनों पार्टियों को फायदा मिल सकता है।
चुनावी रणनीतिकार मानते हैं कि कर्नाटक में कांग्रेस को सरकार में होने का फायदा मिल सकता है। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव के वक्त पार्टी की सरकार थी और सिद्धरमैया मुख्यमंत्री थे। तब मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस नौ सीट जीतने में सफल रही थी। जबकि भाजपा को 17 सीट मिली थी। इसके बाद पार्टी को उम्मीद है कि राज्य में सरकार होने का सियासी लाभ मिल सकता है।
आशीष/ईएमएस 10 मार्च 2024