फर्जी बिल तैयार कर ठेकेदारों ने लगाया नगर निगम को 28 करोड़ का चूना, पुलिस ने शुरू की जांच

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इंदौर। नगर निगम में फर्जी बिलों से हो रहे करोड़ों रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है। पांच कंपनियों के ठेकेदारों ने फर्जी बिल लगाकर 28 करोड़ धोखाधड़ी को अंजाम दिया है। निगम की शिकायत के बाद एमजी रोड थाना पुलिस ने किया धोखाधड़ी सहित अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि पुलिस जांच में अधिकारियों की भी मिलीभगत का खुलासा होगा।

ये है पूरा मामला

दरअसल इंदौर नगर निगम में ड्रेनेज लाइन बिछाई जाने के नाम पर 28 करोड़ रूपयों का घोटाला हुआ है। शहर में जिन स्थानों पर ड्रेनेज लाइन बिछाई नहीं गई, उनके नाम पर फर्जी बिल वी फाइल तैयार कर ली गई और भुगतान के लिए फार्म ने निगम के लेख विभाग को भेज दी। ऑडिट विभाग से बिल पास होने के बाद इस पूरे मामले में खुलासा हुआ जब अकाउंट विभाग ने ड्रेनेज विभाग से मामले की जानाकारी जुटाई ओर जांच की तो पता चला इन फाइलों के काम के लिए वर्क आर्डर जारी ही नहीं हुए, तो उनके बिल पास कैसे होने आ गए। पूरे मामले में नगर निगम ने पांच फर्म के खिलाफ एमजी रोड थाना में एफआईआर दर्ज कराई है।

बढ़ सकती है घोटाले की रकम

दरअसल नगर निगम में हुए 28 करोड़ रुपये का फर्जी बिल घोटाला इससे कहीं अधिक का होने की आशंका है। बताया जा रहा है कि अधिकारियों को भी शक है कि ठेकेदारों की गैंग ऐसे कई मामलों में भुगतान करवा चुकी है। जमीन के अंदर हुए ऐसे कामों के लिए करोड़ों रुपये का भुगतान किया जा रहा था, जिनका वेरिफिकेशन आसान नहीं है। इस गैंग ने अफसरों के फर्जी दस्तखत ही नहीं किए, उनकी कार से फाइलें तक गायब करवाई हैं। यहां तक कि विभागीय आईडी और पासवर्ड का भी इस्तेमाल किया गया। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद निगमायुक्त शिवम वर्मा ने मंगलवार को पांचों फर्म के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी।

इन फर्मो पर हुआ मामला दर्ज

इस करोडो के घोटाले में अभी तक नीव कंस्ट्रक्शन प्रोप्रा. मोहम्मद साजिद, ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्रोप्रा. मोहम्मद सिदिकी, किंग कंस्ट्रक्शन प्रोप्रा. मो. जाकिर, 147 मदीनानगर, क्षितिज इंटरप्राइजेस प्रोप्रा. रेणु वडेरा, आशीष नगर और जाह्नवी इंटरप्राइजेस प्रोप्रा. राहुल वडेरा निवासी 12 आशीष नगर पर मामला दर्ज किया जा चुका है। इन ठेकेदारों ने 20 ड्रेनेज कार्यों के फर्जी दस्तावेज तैयार किए जो सीधे ऑडिट विभाग के पास पहुंचे। वहां से पास भी हो गए जबकि पांचों फर्म को वर्क ऑर्डर ही जारी नहीं हुए। इनसे जुड़े आवक और जावक क्रमांक भी फर्जी थे। जिन कार्यों के बिल प्रस्तुत हुए, उनका ठेका अन्य ठेकेदारों को मिला था। अनुबंध भी अन्य फर्मों के साथ हुए थे। मामले में जांच के बाद निगम में मौजूद अधिकारियों को भी मिली भगत का खुलासा होगा।

नेता प्रतिपक्ष ने लगाए आरोप

इंदौर नगर निगम में हुए 28 करोड़ इस घोटाले के बाद नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए गुरुवार को गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि इस घोटाले में नगर निगम के बड़े अधिकारी भी मिले हुए हैं। उन्होंने इस मामले में महापौर और निगमायुक्त दोनों पर आपराधिक केस करने की मांग की है। वहीं उन्होंने एक नए 100 करोड़ के गौशाला घोटाला होने के भी आरोप लगा दिए।

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