Diwali 2024 Laxmi Puja Muhurat: दिवाली आज और कुछ जगहों पर कल भी, लक्ष्मी पूजन के लिए दोनों दिन के मुहूर्त

9
आज रौशनी और खुशियों का महापर्व दीपावली मनाई जा रही है। इस वर्ष दिवाली की तारीख को लेकर काफी असमंजस की स्थिति रही है। कुछ जगहों पर आज तो कहीं कल भी दिवाली मनाई जा जाएगी। हिंदू धर्म में दीपावली सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक माना गया है। हर कोई व्यक्ति दिवाली का बेसब्री से इंतजार करता हैं। देशभर में दिवाली के पर्व को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दिवाली पर घरों को विशेष रूप से रौशनी और दीयों से सजाया जाता है और अमावस्या की रात को धन, सुख और समृद्धि के देवी माता लक्ष्मी की पूजन-अर्चना होती है। धार्मिक मान्यता है कि दिवाली की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर आती हैं और जिन घरों में अच्छी साफ-सफाई, सजावट और पूजा-पाठ होता है वहां पर निवास करती हैं।

इस वर्ष दिवाली की तारीख को लेकर मतभेद क्यों?

दिवाली एक पंचदिवसीय त्योहार होता है। धनतेरस से दिवाली का पर्व शुरू हो जाता है और भैया दूज पर समाप्त होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष दीपावली का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। लेकिन इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि दो दिन पड़ने के कारण दिवाली के त्योहार को लेकर कुछ कंफ्यूजन की स्थिति बनी हुई है कि दिवाली 31 अक्तूबर को मनाई जाय या फिर 01 नवंबर को।

दीपावली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जिसे दीपोत्सव भी कहा जाता है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व है। दीपावली पर धन और समृद्धि के देवी महालक्ष्मी का विशेष पूजन करने का विधान होता है। शास्त्रों में दिवाली पर महालक्ष्मी का पूजन अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल और स्थिर लग्न में सबसे सर्वोत्तम माना गया है। प्रदोष काल के अलाव महानिशीथ काल में लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता लक्ष्मी का प्राकट्य अमावस्या तिथि के संध्याकाल में हुआ था इस कारण से दिवाली का पर्व और लक्ष्मी पूजन प्रदोषकाल और रात्रिकाल निशीथ काल में होती है।

वैदिक पंचांग के मुताबिक इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 31 तारीख को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से शुरू हो रही है और यह तिथि 01 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। माता लक्ष्मी अमावस्या तिथि में प्रदोष काल और निशिथ काल में भ्रमण करती हैं इसके कारण माता की पूजा प्रदोष काल और निशीथ काल में करने का विधान होता है। पंचांग के मुताबिक 31 अक्तूबर, गुरुवार के दिन पूरी रात्रि अमावस्या तिथि के साथ प्रदोष काल और निशीथ मुहूर्त काल भी है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार 31 अक्टूबर के दिन दीवाली का पर्व और लक्ष्मी पूजन करना सबसे अधिक फलदाई होगा, क्योंकि दिवाली का पर्व तभी मनाना उत्तम रहता है जब प्रदोष से लेकर निशिथा काल तक अमावस्या तिथि रहे। लेकिन कुछ ज्योतिषाचार्यों और पंडितों का तर्क है कि यदि दिवाली पर सूर्योदय के बाद तीन प्रहर तक कोई तिथि व्याप्त हो तो उदयकाल में तिथि होना माना जाता है और उसी काल में पूजा करना शास्त्र सम्मत है। ऐसे में 01 नवंबर को अमावस्या तीन प्रहर की है और प्रदोष व्यापिनी भी है। इस कारण से कुछ विद्वान दिवाली 01 नवंबर को मनाने की सलाह दे रहे हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.