बता दें कि पिछले साल जुलाई में जिलाधिकारी की जनसुनवाई के दौरान आए एक मामले में रजिस्ट्री फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था। प्रशासन के स्तर पर जांच हुई तो पता चला कि यहां बड़ी-बड़ी जमीनों के पुराने दस्तावेज को बदलकर जालसाजी की गई है। वर्षों से जिन जमीनों पर कोई काबिज नहीं था अचानक से इन जमीनों की खरीद फरोख्त होने लगी। जांच में पता चला कि इन जमीनों में ज्यादातर के रिकॉर्ड सहारनपुर में रखे हुए थे। जबकि, कुछेक के देहरादून सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में थे। इनके दस्तावेजों पर पुरानी लिखाई मिटाकर नए विक्रय पत्र तैयार कर दिए गए। तत्कालीन एआईजी स्टांप की शिकायत पर कोतवाली शहर में पहला मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद दो स्तर पर (प्रशासन और पुलिस) एसआईटी का गठन कर दिया गया।