मिस्र के गीज़ा पिरामिडों का रहस्य गहराया: रडार ने पाया कि भूमिगत संरचनाएँ एफिल टॉवर से दोगुनी गहरी हैं, जो 2 किमी तक फैली हुई हैं
मिस्र। मिस्र का पिरामिड हमेशा से रहस्य बना हुआ है. हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ़ पीसा के वैज्ञानिकों ने इसका एडवांस राडार से स्कैन किया है. इसकी मदद से गीज़ा के पिरामिडों के नीचे एक विशाल और जटिल भूमिगत संरचना का पता चला है. कोराडो मलंगा और यूनिवर्सिटी ऑफ़ स्ट्रैथक्लाइड के फ़िलिपो बायोन्डी ने खफ़्रे पिरामिड को स्कैन करने के लिए सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) टोमोग्राफी का उपयोग किया. इसके अंदर एक भूमिगत प्रणाली पाई जो तीनों पिरामिडों के नीचे लगभग दो किलोमीटर तक फैली हुई है। खफ़्रे पिरामिड गीज़ा की दूसरी सबसे बड़ी संरचना है. स्कैन में खफ़्रे पिरामिड के आधार के पास पांच समान संरचनाएं दिखाई दीं. इन संरचनाओं में कई स्तर थे और वे ज्यामितीय मार्गों से जुड़ी हुई थीं. अंदर 8 ऊर्ध्वाधर बेलनाकार कुएं है, जो 648 मीटर तक फैले हुए सर्पिल रास्तों से घिरे हुए थे. बाद में ये दो विशाल घनाकार संरचनाओं में खो गए. इनकी माप 80 मीटर प्रति भुजा थी।
पुराने दावों को चुनौती देती
इनके स्कैन के बाद रीज ने रिपोर्ट जारी किया है. इसके एक वीडियो में कहा गया है कि ये खोजें लंबे समय से चली आ रही थी. यह खोज इस धारणा को चुनौती देती हैं कि पिरामिड केवल शाही कब्रों के रूप में काम करते थे. शोधकर्ताओं ने पहले अनुमान लगाया था कि भूमिगत नेटवर्क में यांत्रिक या ऊर्जा से संबंधित कार्य हो सकता है।
बिजली का पार हाउस था?
यह खोज निकोला टेस्ला और क्रिस्टोफर डन जैसे प्रसिद्ध व्यक्तियों के सिद्धांतों के समान है. टेस्ला एक प्रसिद्ध आविष्कारक थे, जिन्होंने बिजली और वायरलेस ऊर्जा पर काम किया था. उनका मानना था कि पिरामिड पृथ्वी की प्राकृतिक ऊर्जा को इकट्ठा करके उसका उपयोग कर सकते हैं. क्रिस्टोफर डन, एक इंजीनियर और लेखक थे. अपनी पुस्तक द गीज़ा पावर प्लांट में, उन्होंने कहा था कि ग्रेट पिरामिड एक मशीन हो सकती है. उनका मानना था कि यह कंपन को ऊर्जा में बदल सकता है।