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जम्मू। जम्मू-कश्मीर में दहशतगर्द लगातार शांति भंग करने में जुटे हैं। जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में आतंकी हमलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। जम्मू-कश्मीर का माहौल बिगाड़ने की लगातार कोशिश की जा रही है। पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। सोमवार को जम्मू संभाग में पिछले आठ दिनों में दूसरी बड़ी मुठभेड़ हुई। डोडा मुठभेड़ में तीन जवान और एक अधिकारी बलिदान हुए हैं। आठ जुलाई को कठुआ मुठभेड़ में भी पांच जवानों का बलिदान हुआ था। दोनों ही मुठभेड़ में दहशतगर्द हाथ नहीं लग सके हैं। दोनों ही हमलों की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने ली है।
आतंकियों की तलाश में जम्मू संभाग के अलग-अलग इलाकों में चल रहे सर्च ऑपरेशन के बीच दहशतगर्द फिर नुकसान पहुंचाने में सफल हो गए हैं। हालांकि आतंकियों के इस वारदात का बहादुर जवान जल्द ही बदला लेंगे। जम्मू संभाग के जिला डोडा के देसा वन क्षेत्र में सोमवार को आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई। देर रात तक चली मुठभेड़ में सेना के अधिकारी और जवान घायल हो गए। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान मंगलवार तड़के कैप्टन, सेना के तीन जवान वीर गति को प्राप्त हो गए।
पांच सैनिकों के बलिदान के गम से देश अभी उबर नहीं पाया था कि आतंकियों ने पांच और बहादुर सैनिकों की जिंदगी छीन ली। आतंकियों की तलाश में डोडा के देसा इलाके में गहन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, ये इलाका ऊंचे पहांड़ और जंगल से घिरा हुआ है। यहां न तो बेहतर सड़क सुविधा है और न ही फोन नेटवर्क। मानसून में मौसम भी धुंध से घिरा रहता है। इसी चीज का फायदा उठाकर आतंकी नुकसान पहुंचाने में सफल रहे। अधिकारियों ने बताया कि डोडा में मुठभेड़ तब शुरू हुई जब राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) के जवानों ने शाम करीब 7.45 बजे देसा वन क्षेत्र के धारी गोटे उरारबागी में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया था।