नई दिल्ली। केंद्र और किसान नेताओं के बीच कल रविवार को होने वाली बैठक यदि बेनतीजा रहती है तो आशंका जताई जा रही है कि किसान आंदोलन उग्र हो सकता है। वहीं किसान आंदोलन से जुड़े लोगों के सोशल मीडिया अकांउट्स भारत में बंद करने के आरोप भी लग रहे हैं। बताया जा रहा है कि किसानों को कवर कर रहे मनदीप पुनिया और कुछ अन्य लोगों के सोशल मीडिया अकाउंटस बंद किए गए हैं। जानकारी अनुसार किसान आंदोलन से जुड़े अनेक किसानों के साथ ही आंदोलन को कवर करने वाले कुछ लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट्स बंद कर दिए गए है। बताया जा रहा है कि बंद की कार्रवाई सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर की गई है। इसे किसान आंदोलन को प्रभावित करने और उक्साने जैसे कार्रवाई बताया जा रहा है। ऐसे में यदि केंद्र और किसान नेताओं के बीच होने वाली रविवार की बैठक बेनतीजा रहती है तो किसान आंदोलन भड़क भी सकता है।
बताया जा रहा है कि किसान मजदूर मोर्चा संयोजक सरवन सिंह पंढेर, बीकेयू के प्रवक्ता तेजवीर सिंह अंबाला, किसान नेता रमनदीप सिंह मान, बीकेयू क्रांतिकारी से सुरजीत सिंह फुल्ल, हरपाल संघा, हरियाणा से अशोक दनौदा आदि अनेक किसान नेताओं के एक्स अकाउंट और फेसबुक पेज बंद कर दिए गए हैं। किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं के अकाउंटस बंद करने के साथ ही उन्हें मेसेज किया गया है कि आपका अकाउंट लीगल डिमांड के रहते रोका गया है। किसान नेताओं का आरोप है कि यह सब सरकार के इशारे पर किया जा रहा है, ताकि आम लोगों तक किसानों की आवाज़ ना पहुंचने पाए। इसे लेकर अब कहा जा रहा है कि एक तरफ केंद्र बातचीत के रास्ते खोलने और लगातार बैठकें कर हल निकालने की बात कर रही है, तो दूसरी तरफ आंसू गैस के गोले, बल प्रयोग करते हुए अब सोशल मीडिया अकांट्स बंद करवा रही है, ऐसे में यदि किसान आंदोलन उग्र हो जाए तो इसकी भी जिम्मेदारी सरकार की ही बनती है। इसलिए कहा गया है कि यदि रविवार को होने वाली केंद्र व किसान नेताओं के बीच होने वाली बैठक बेनतीजा रहती है तो किसान भड़क सकते हैं और तब उन्हें संभालना मुश्किल हो जाएगा। इस बार बैठक से पहले किसान नेताओं ने सरकार से मांगों व प्रस्तावों पर पूरा प्लान के साथ लिखित आश्वासन भी मांगा है। इसके बगैर बातचीत का कोई अर्थ निकलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री अंशुमन ठाकुर का कहना है कि किसानों से हुई पिछली वार्ता सकारात्मक रही है, उम्मीद है कि अगली चर्चा भी सकारात्मक माहौल में होगी और किसानों की समस्याओं को सुलझाने का कोई न कोई रास्ता निकल आएगा।