गणतंत्र दिवस की परेड में ‘मेड इन इंडिया’ पर जोर, इन स्वदेशी हथियारों पर रहेंगी नजरें

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नई दिल्ली। राजपथ पर इस साल गणतंत्र दिवस की परेड में मेड इन इंडिया हथियार आकर्षण का मुख्य केंद्र रहेंगे। परेड के दौरान स्वदेशी हथियार जैसे एलसीएच प्रचंड हेलीकॉप्टर, पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर और एंटी टैंक मिसाइल नाग का प्रदर्शन किया जाएगा। एलसीएच प्रचंड हेलीकॉप्टर देश का पहला स्वदेशी मल्टी रोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा डिजाइन किया गया है।

एलसीएच प्रचंड हेलीकॉप्टर और नाग मिसाइल सिस्टम पर रहेंगी नजरें
एलसीएच प्रचंड ग्राउंड अटैक और हवाई हमले में सक्षम है। यह हेलीकॉप्टर आधुनिक स्टील्थ तकनीक से लैस है, जिसमें आर्मर प्रोटेक्शन और रात में हमला करने की भी क्षमता मौजूद है। इसमें आधुनिक नेविगेशन सिस्टम, और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें लगाई गई हैं। नाग मिसाइल सिस्टम को डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है। दुश्मनों के टैंकों को तबाह करने में यह मिसाइल काफी कारगर है और खास बात ये है कि यह मिसाइल सिस्टम दिन और रात दोनों समय हमले करने में सक्षम है। यह मिसाइल टॉप अटैक क्षमताओं और ऑटोमैटिक तरीके से अपने लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। नाग मिसाइल का कैरियर NAMICA बीएमपी-2 पर आधारित सिस्टम है और इसे जमीन के साथ ही पानी की सतह से भी फायर किया जा सकता है।

इन मेड इन इंडिया हथियारों का भी किया जाएगा प्रदर्शन
गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान आधुनिक बख्तरबंद गाड़ियां और अन्य विशेषज्ञ वाहन भी प्रदर्शित किए जाएंगे। इस साल गणतंत्र दिवस की परेड में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां मुख्य अतिथि होंगे। मेड इन इंडिया हथियारों में टी-90 टैंक, बीएमपी-2 इंफेंट्री कॉम्बैट वाहन, ड्रोन जैमर्स, एडवांस्ड सर्वत्र ब्रिज, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और मल्टी फंक्शन रडार आदि का भी प्रदर्शन किया जाएगा।

लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर के साथ ही भारतीय सेना के एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर के हथियारयुक्त संस्करण का भी प्रदर्शन किया जाएगा, जिसे रुद्र के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही पिनाका और स्वाति रडार को भी गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल किया गया है। दोनों को DRDO द्वारा विकसित किया गया है। पिनाका रॉकेट सिस्टम का उन्नत रेंज संस्करण 45 किलोमीटर दूरी तक के लक्ष्य को भेद सकता है। इस रॉकेट प्रणाली को पुणे स्थित आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) और एचईएमआरएल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
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