Hindenburg Row: सुप्रीम कोर्ट में नई अर्जी, सेबी से अदाणी समूह के खिलाफ लंबित जांचें जल्द पूरा कराने की मांग
नई दिल्ली। अदाणी समूह की तरफ से शेयर मूल्य में हेरफेर के आरोपों से संबंधित दो लंबित मामलों में अपनी जांच को जल्द पूरा करने के लिए सेबी को निर्देश देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है। इस मामले में याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि कथित अदाणी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में उनकी और उनके पति की हिस्सेदारी थी, जिससे आम जनता और निवेशकों के मन में संदेह का माहौल पैदा हो गया है। विशाल तिवारी 2023 में शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ताओं में से एक थे और उन्होंने अदाणी समूह की तरफ से शेयर मूल्य में हेरफेर के आरोपों की जांच की मांग की थी। 3 जनवरी को, समूह के लिए एक महत्वपूर्ण जीत में, शीर्ष अदालत ने स्टॉक मूल्य में हेरफेर के आरोपों की जांच को एक विशेष जांच दल या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि बाजार नियामक एक व्यापक जांच कर रहा था और उसका आचरण विश्वास को प्रेरित करता है।
नई अर्जी में याचिकाकर्ता की दलील
वहीं अपनी नई अर्जी में विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के 5 अगस्त के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों से संबंधित दो मामलों में सेबी की तरफ से लंबित जांच को शीघ्र पूरा करने के लिए उनकी याचिका को पंजीकृत करने से इनकार कर दिया गया था। हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट का हवाला देते हुए विशाल तिवारी ने कहा, “सेबी प्रमुख ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए इनकार किया है और इस अदालत ने यह भी माना है कि तीसरे पक्ष की रिपोर्ट पर विचार नहीं किया जा सकता। लेकिन इस सबने जनता और निवेशकों के मन में संदेह का माहौल पैदा कर दिया है और ऐसी परिस्थितियों में सेबी के लिए लंबित जांच को समाप्त करना और जांच के निष्कर्ष की घोषणा करना अनिवार्य हो जाता है।