सबसे खास होता है ग्वालियर का होलिका दहन, 30 हजार कंडों से बनाई जाती है, 15 फिट होती है ऊंचाई

25
ग्वालियर।पिछले 100 सालों से इस होलिका दहन को देखने के लिए शहर भर के लोग सर्राफा बाजार पहुंच रहे हैं। सर्राफा बाजार में कारोबारियों द्वारा इस होलिका दहन का आयोजन किया जा रहा है। होलिका दहन के लिए 30 हजार से ज्यादा कंडो का उपयोग किया गया है।
सर्राफा कारोबारियों ने बताया कि ग्वालियर अंचल की सबसे ऊंची और बड़ी इस होलिका दहन का मुहूर्त के अनुसार रात 10:30 बजे किया जाएगा। ग्वालियर के हृदय स्थल महाराज बाड़े से सटा सराफा बाजार धनाड्य लोगों का इलाका है। यहां होलिका दहन का सिलसिला लगभग ढाई सौ साल पहले सिंधिया रियासत के समय शुरू हुआ था। तब सिंधिया राज परिवार गोरखी महल में रहता था, जो सराफा बाजार से कुछ ही फर्लांग की दूरी पर स्थित है। किंवदंती है कि सिंधिया राज परिवार भी महल से सराफा में होलिका दहन में पहुंचता था। अब यह सबसे व्यस्त इलाका है और दस हजार से ज्यादा परिवार यहीं से होली की आग अपने घरों में लेकर जाते हैं।

सवा ग्यारह बजे होगा दहन

ग्वालियर में सराफा बाजार की ये होलिका उत्तरी मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी होलिका है । इसमें पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से एक भी लकड़ी का उपयोग नहीं किया जाता। इसमें 25 से 30 हजार से ज्यादा कंडों का उपयोग किया जाता है। खास बात ये भी है कि यह कंडें गौ के गोबर के होते है जो गौशाला से मंगवाए जाते हैं। इस होलिका को सजाने में आधा दर्जन मजदूर दो दिन पहले से जुटते है, यानी इसे तैयार करने में कम से कम 24 घण्टे का समय लगता है। सराफा बाजार होली समिति से जुड़े गोपाल अग्रवाल का कहना है कि इस बार भद्रा होने के कारण होलिका दहन आज (24 मार्च) को रात सवा ग्यारह बजे होगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.