हाल ही किए गए ताजा अध्ययन से पता चला है कि खाना पकाने और गर्म करने के लिए कोयला या लकड़ी जैसे ठोस ईंधन का उपयोग करने से गर्भवती महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज (जीडीएम) का खतरा बढ़ सकता है। चीन की जुनी मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में 4,338 महिलाओं को शामिल किया गया, जिनकी औसत आयु 27 वर्ष थी, जिनमें से 302 महिलाओं को जीडीएम का सामना करना पड़ा। जीडीएम गर्भावस्था के दौरान होने वाली एक आम समस्या है, जो गर्भावस्था के प्रतिकूल परिणामों और भविष्य में मधुमेह के जोखिम को बढ़ा सकती है।
अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि हीटिंग के लिए ठोस ईंधन का उपयोग करने वाली गर्भवती महिलाओं में स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करने वाली महिलाओं की तुलना में जीडीएम का जोखिम अधिक था। अध्ययन में पाया गया कि जीडीएम से पीड़ित गर्भवती महिलाओं का प्रसवपूर्व बीएमआई अधिक था और वे शारीरिक गतिविधि और नींद की अवधि में भी जीडीएम रहित गर्भवती महिलाओं की तुलना में महत्वपूर्ण अंतर दिखाती थीं। शोधकर्ताओं ने कहा, हमारे अध्ययन से स्पष्ट होता है कि घरेलू ठोस ईंधन का उपयोग जीडीएम संवेदनशीलता को बढ़ाता है। यह गर्भवती महिलाओं पर घरेलू वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।शोधकर्ताओं ने यह बताया कि एक स्वस्थ जीवनशैली का पालन करने से घरेलू वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वाली गर्भवती महिलाओं में जीडीएम का खतरा कम हो सकता है।
यह अध्ययन ऐसे समय में आया है जब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर पर गिर गई है, और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, हाल ही में दिल्ली में वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में रही है।अध्ययन ने यह भी संकेत दिया कि जब गर्भवती महिलाएं स्वस्थ जीवनशैली को अपनाती हैं, जैसे उचित आहार और पर्याप्त नींद, तो जीडीएम की दर में कमी देखने को मिलती है। सब्जियों और फलों का अधिक सेवन और विटामिन डी सप्लीमेंट का सही उपयोग भी जीडीएम के जोखिम को कम करने में मदद करता है।
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