भारतीयों पर कैसे असर डालेगा ट्रंप का गोल्ड कार्ड प्लान, कैसे मिलेगी नागरिकता, कितना करना पड़ेगा खर्च?
ईबी-5 से कितना अलग है गोल्ड कार्ड
दोनों तरह के वीजा में बहुत बड़ा अंतर है। मौजूदा ईबी-5 कार्यक्रम के तहत, विदेशी निवेशकों को अमेरिका की कंपनियों में 8 से 10 लाख डॉलर के बीच निवेश करना पड़ता है और कम से कम 10 नई नौकरियों का सृजन करना पड़ता है। इसके अलावा ग्रीन कार्ड के लिए 5-7 वर्ष तक इंतजार भी करना पड़ता है। विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए 1990 में शुरू किए गए इस कार्यक्रम पर पिछले कई वर्षों से दुरुपयोग और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। अब गोल्ड कार्ड वीजा प्लान की फीस पांच गुना बढ़ाकर 50 लाख डॉलर तय की गई है। बड़ी लागत की वजह से मध्य वर्ग के निवेशकों के लिए इस प्लान का फायदा उठा पाना मुश्किल होगा।
भारतीयों पर क्या असर होगा
नकद करना होगा भुगतान
ईबी-5 के तहत आवेदन करने वाले लोन ले सकते हैं या पैसा जुटा सकते हैं, जबकि गोल्ड कार्ड के लिए पूरा भुगतान नकद करना होगा। इससे यह भारतीयों के एक बड़े हिस्से की पहुंच से बाहर हो जाता है। भारतीयों के लिए एच-1बी वर्क वीजा सबसे पसंदीदा रास्ता बना हुआ है। एच-1बी वीजा वाले भारतीय भी गोल्ड कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं, बशर्ते वे 50 लाख डॉलर का भुगतान करने की क्षमता रखते हों।