नई दिल्ली। दिल्ली में यदि 4-3 के फार्मूले को अनुमति मिली तो कांग्रेस-आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन तय है। लेकिन अभी तक यह निश्चित नहीं हो पाया है, यही वजह है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की घोषणा बस होते-होते रह गई है। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी 4-3 के फॉर्मूले पर सहमत थी लेकिन कांग्रेस दिल्ली में चार सीटों की मांग कर रही है। सूत्रों का कहना है कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के सामने यही सवाल उठाया है कि आखिर किस आधार पर कांग्रेस दिल्ली में चार सीटें मांग रही है। दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस के पास कोई सीट नहीं है और नगर निगम चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। हालांकि कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को आधार बना रही है। अब गेंद कांग्रेस के पाले में है और जैसे ही कांग्रेस आलाकमान 4-3 के फॉर्मूले को मंजूरी देता है तो गठबंधन का ऐलान हो सकता है।
उधर आम आदमी पार्टी गुजरात में दो और हरियाणा में एक लोकसभा सीट पर भी चुनाव लड़ सकती है। हालांकि कांग्रेस ने इस बारे में सकारात्मक रूख दिखाया है। चंडीगढ़ और गोवा में कांग्रेस द्वारा आम आदमी पार्टी को कोई सीट दी जानी मुश्किल है। दिल्ली में गठबंधन को लेकर वैसे दोनों पार्टियां ही गंभीर है और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत कांग्रेस के बड़े नेता भी यह स्वीकार कर चुके हैं। अब देखना होगा कि गठबंधन में कौन सा चुनावी समीकरण तय होगा। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने पंजाब में तो अलग- अलग लड़ने का मन बना लिया है। सूत्र बता रहे हैं कि मार्च में चुनावों की घोषणा होने वाली है और अब ज्यादा समय नहीं बचा है, ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की घोषणा जल्द ही की जा सकती है।
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