बच्चे में उत्साह की कमी है तो पेरेंटिंग में सुधार करें

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अगर आपको ऐसा लगता है कि आपके बच्चे में उत्साह की कमी है, वह अपनी इच्छा से आगे बढ़कर कोई भी नया काम करने को तैयार नहीं होता, पढ़ाई या छोटे-छोटे घरेलू कार्यों के लिए उसे बार-बार टोकना पड़ता है तो आपको अभी से सचेत हो जाना चाहिए।
बच्चे के व्यवहार में ऐसी परेशानी इस बात का संकेत है कि आपको अपनी पेरेंटिंग के तरीके में सुधार की ज़रूरत है। कुछ बच्चे दूसरों को देखकर बहुत जल्दी उनके गुणों को अपनाने की कोशिश करते हैं, पर कुछ ऐसा नहीं कर पाते। ऐसे बच्चों को प्रेरित करने की ज़रूरत होती है, ताकि वे जल्द से जल्द अच्छी आदतें सीख सकें। बच्चों के पहले शिक्षक माता-पिता ही होते हैं और वे उन्हीं के व्यवहार का अनुसरण करते हैं। अगर अपनी रोज़मर्रा की दिनचर्या में आप हमेशा सक्रिय, उत्साही और ऊर्जावान रहेंगे तो आपको देखकर छोटी उम्र से ही आपके बच्चे में भी स्वत: ऐसी अच्छी आदतें विकसित होंगी। अगर आप किसी काम को लेकर उत्साहित नहीं हैं तो बच्चे में भी उत्साह की कमी होगी। इसलिए ज़रूरी है कि जब भी आप कुछ नया सीखें, उसे बच्चे के साथ साझा करें। इसके अलावा नियमित रूप से उसके साथ खेलने और प्यार भरी बातें करने के लिए थोड़ा समय ज़रूर निकालें। अपने घर में ऐसा खुशनुमा मा माहौल बनाए रखें कि आपका बच्चा निडर होकर आपसे अपने दिल की बातें शेयर कर सके । इससे वह स्वत: प्रेरित होना सीख जाएगा।
कामयाबी की अहमियत समझाएं
रोज़मर्रा के छोटे-छोटे कार्यों के बहाने उसे कामयाबी की अहमियत समझाएं। शुरुआत में उसे कोई भी जि़म्मेदारी सौपें। मसलन, स्टडी टेबल को सही ढंग से व्यवस्थित करना, पौधों को पानी देना, गणित के सवाल हल करना, अपनी हैंडराइटिंग सुधारना आदि। कार्य चाहे छोटा हो या बड़ा, अगर आपका बच्चा उसे सही ढंग से पूरा करने की कोशिश करता है तो उसके इस प्रयास की सराहना ज़रूर करें। इससे उसका उत्साह दोगुना हो जाएगा और वह कामयाबी हासिल करने की दिशा में कड़ी मेहनत करेगा। जब भी उसे सफलता मिले, उसे भरपूर शाबाशी दें, ताकि वह हमेशा आगे बढऩे के लिए प्रेरित हो।
उसकी भी सुनें
हर बच्चा अपने आप में खास होता है। हमें अपने बच्चे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। हमेशा उपदेश देने के बजाय उसकी बातें भी ध्यान से सुननी चाहिए। बेहतर यही होगा कि आप अपने परिवार से जुड़े छोटे-छोटे मुद्दों पर उसे भी अपनी राय रखने का अवसर दें। मसलन, लंच या डिनर का मेन्यू क्या हो, वीकेंड पर कहां घूमने जाएं, उसके कमरे की दीवारों का रंग कैसा हो जैसे विषयों पर उसकी राय ज़रूर मांगे। इससे उसे ऐसा लगेगा कि उसके सुझाव भी आपके लिए अहमियत रखते हैं। आपकी यह छोटी सी कोशिश उसका आत्मविश्वास बढ़ाने में भी मददगार होगी।
होमवर्क के लिए उत्साहित करें
बच्चे के भीतर जि़म्मेदारी की भावना विकसित करें, ताकि वह रोज़ाना सही समय पर अपना होमवर्क पूरा कर सके। होमवर्क पूरा करने के बाद ही उसे टीवी देखने की इजाज़त दें। उसके पढऩे के लिए एक अलग जगह बनाएं। जहां उसकी बुक शेल्फ, रीडिंग लैंप, कुछ पोस्टर आदि हों। इससे घर में पढ़ाई का माहौल बना रहेगा तो वह स्वयं ही होमवर्क करने के लिए प्रेरित होगा।
किताबों को पढ़ने प्रेरित करें
इंटरनेट और मोबाइल के इस दौर में बच्चे किताबों से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में यह बहुत ज़रूरी है कि आप उन्हें किताबें पढऩे के लिए प्रेरित करें। इसके लिए उनकी रुचि से जुड़ी किताबें खरीदें। मसलन अगर बच्चे को कोई जानवर या कार्टून कैरेक्टर पसंद हो तो उसके लिए उसी से संबंधित किताबें लाएं। बच्चे को साथ लेकर लाइब्रेरी या किसी बुक स्टोर में जाएं। वहां उसी को किताबें चुनने को कहें। ध्यान रखें कि अगर वह खुद किताबों का चुनाव करेगा तो उसे पढऩा भी अच्छा लगेगा। बच्चे के साथ बैठकर खुद भी पढऩे की कोशिश करें। उसे कहानियां सुनाएं। इससे आप दोनों अच्छा महसूस करेंगे। अगर आप किताबों को एंजॉय करती हैं तो आपका बच्चा भी पढऩे के लिए उत्साहित होगा।
सबक सहयोग का
बच्चे उसी स्थिति में आपकी मदद करना चाहते हैं, जब उन्हें ऐसा महसूस होता है कि वाकयी आपको उनकी मदद की ज़रूरत है। अगर उनसे आदेशात्मक लहज़े में कोई काम करने को कहा जाए तो वे उसे पूरे मन से करने को तैयार नहीं होते। घर की सफाई के दौरान उन्हें प्यार से समझाएं कि हमें मिलजुलकर अपने घर को साफ और सुंदर बनाना चाहिए।

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