‘UNSC में भारत का स्थायी सदस्य न होना बकवास: एलन मस्क ने शक्तिशाली देशों की नीयत पर उठाए सवाल

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नई दिल्ली। दुनिया के सबसे अमीर शख्स और टेस्ला व स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के मुखिया एलन मस्क ने संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि कुछ बिंदुओं पर दुनिया की सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र में बदलाव करने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद् में सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के नाते भारत को स्थायी जगह मिलनी ही चाहिए। ऐसा नहीं किया जाना बेतुका है। एलन मस्क ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत को स्थायी सीट नहीं मिलने को ‘बकवास’ बताया है और कहा है, कि जिन देशों के पास जरूरत से ज्यादा शक्ति है, वे इसे छोड़ना नहीं चाहते हैं।
मस्क ने संयुक्त राष्ट्र निकायों में संशोधन की वकालत की

एलोन मस्क ने ट्वीट कर कहा कि कुछ बिंदु पर, संयुक्त राष्ट्र निकायों के संशोधन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद, सुरक्षा परिषद में भारत के लिए स्थायी सीट नहीं होना बेतुका है। उन्होंने लिखा कि अफ्रीका के लिए भी सामूहिक रूप से एक सीट होनी चाहिए। सयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद् में फिलहाल पांच देश ही स्थायी सदस्यों के रूप में शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद क्या है? 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र (UN) के छह प्रमुख अंगों में से एक है। इसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी। इस पर अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने, महासभा में संयुक्त राष्ट्र के नए सदस्यों के प्रवेश की सिफारिश करने और संयुक्त राष्ट्र में किसी भी बदलाव को मंजूरी देने की जिम्मेदारी है।

सुरक्षा परिषद की संरचना की बात करें तो इसमें पांच स्थायी सदस्य हैं- अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस। यह सामूहिक रूप से P5 के रूप में जाने जाते हैं। इनमें से कोई भी प्रस्ताव को वीटो कर सकता है। परिषद के दस निर्वाचित सदस्य भी होते हैं जिनका कार्यकाल सिर्फ दो साल का होता है। निर्वाचित सदस्यों को वीटो शक्ति नहीं दी जाती है।

सुरक्षा परिषद् में सीट पाने के लिए भारत क्यों बड़ा दावेदार है? 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बनने के इच्छुक सभी उम्मीदवारों में भारत सबसे अधिक मुखर है। भारत आज एक प्रमुख वैश्विक शक्ति केंद्र बन चुका है। भारत की सदस्यता का दावा इन तथ्यों पर आधारित है कि यह संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्यों में से एक है, सबसे बड़ा लोकतंत्र है, दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है, और पांचवीं सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।

साथ ही, भारत जलवायु परिवर्तन, सतत विकास लक्ष्यों और अन्य संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलनों से संबंधित सभी अहम मंचों में सक्रिय रूप से खुद को शामिल करता रहा है। भारत दुनिया के अधिकांश अविकसित और विकासशील देशों के हितों का भी प्रतिनिधित्व करता है। भारत एक देश है जो दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की विचारधारा रखता है।

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