रुचिरा कंबोज ने कहा कि ‘इस सभा में हम शांति की संस्कृति की बात कर रहे हैं। ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में हमारा फोकस रचनात्मक बातचीत पर होना चाहिए। ऐसे में हमें एक प्रतिनिधिमंडल (पाकिस्तान) की टिप्पणियों को नजरअंदाज करना चाहिए क्योंकि उनमें न सिर्फ शिष्टाचार की कमी है, बल्कि उनका खुद का ट्रैक रिकॉर्ड हर मामले में संदिग्ध है। ये अपनी विनाशकारी और हानिकारक संस्कृति के चलते हमारे सामूहिक प्रयासों को भी गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।’ कंबोज ने कहा कि हम चाहेंगे कि ये प्रतिनिधिमंडल सम्मान और कूटनीति के आधारभूत सिद्धांतों का पालन करे।
भारत कई धर्मों की जन्मस्थली
भारत की स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि ‘आतंकवाद शांति की संस्कृति के खिलाफ है और यह धर्म की शिक्षाओं जैसे दया, सहअस्तित्व के भी खिलाफ है। हमारा देश मानता है कि ये पूरी दुनिया एक परिवार है और संयुक्त राष्ट्र सभा के सभी सदस्य देशों को भी ऐसा मानना चाहिए ताकि शांति की संस्कृति को बढ़ावा मिल सके।’ कंबोज ने कहा वैश्विक चुनौतियां बढ़ रही हैं। बढ़ती असहिष्णुता, भेदभाव और धर्म आधारित हिंसा की चुनौतियों पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। पवित्र स्थलों जैसे चर्च, बौद्ध स्थल, गुरुद्वारे, मस्जिद, मंदिर और यहूदी धर्मस्थलों पर हमलों की घटनाओं में तेजी आने से हम चिंतित हैं। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में आए दिन हिंदू मंदिरों और गुरुद्वारों पर हमले की घटनाएं सामने आती रहती हैं। कंबोज ने कहा कि ‘अहिंसा का मंत्र महात्मा गांधी ने दिया था और यह आज भी हमारे देश का आधार है। पाकिस्तान को आईना दिखाते हुए भारत की प्रतिनिधि ने कहा कि भारत न सिर्फ हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म की जन्मस्थली है बल्कि यहां इस्लाम, यहूदी, ईसाई और पारसी जैसे धर्मों का भी मजबूत आधार है। जिन वर्गों और धर्मों के लोगों को शोषण का सामना करना पड़ा, उन्हें शरण देने और विविधता में एकता बनाए रखने का भारत का इतिहास रहा है।