नई दिल्ली। दुनिया भर में बिग कैट परिवार को लेकर सामने आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने शेर व बाघ की तमाम प्रजातियों को बचाने के लिए दुनिया के सामने इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) नामक मंच की परिकल्पना रखी थी। इसी दिशा में हाल ही में केंद्र सरकार ने आईबीसीए को मंजूरी देते हुए इसके लिए अगले पांच सालों में डेढ़ सौ करोड रुपए का बजट रखा है। गौरतलब है कि दुनिया के 96 देशों में बिग कैट परिवार की प्रजातियां पाई जाती हैं। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव का कहना था कि टाइगर संरक्षण की दिशा में भारत हुए कामों को आज दुनिया ने पहचाना और सराहा है। उसी की तर्ज पर अब भारत आईबीसीए के लिए काम करेगा, जिसका हेड क्वार्टर भारत में बनेगा। यह पहल बिग कैट परिवार की प्रजातियों के संरक्षण से जुड़े बेहतर प्रयासों को दुनिया के सामने रखेगा।
बिग कैट परिवार में टाइगर, शेर, चीते, जगुआर, प्यूमा, तेंदुआ और हिम तेंदुआ आता है। इनमें से पांच प्रजातियां तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर, टाइगर, शेर और चीता भारत में पाई जाती हैं। इन पांच प्रजातियों को लेकर पिछले कई सालों में भारत में काफी काम हुआ है। हाल ही में भारत सरकार ने ऐसी तमाम प्रजातियों की आबादी की गिनती कराई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जहां अपने यहां टाइगरों की आबादी 3167 है तो वहीं तेंदुओं की संख्या 13,874 और हिम तेंदुओं की आबादी 800 है। गौरतलब है कि शेर केवल भारत में ही हैं और इनकी आबादी भी 800 से ज्यादा है, जबकि देश से लुप्त हो चुके चीतों को फिर से भारत में बसाने की कोशिश हुई है, जिसके तहत 21 चीतें फिलहाल देश में मौजूद हैं। बता दें कि दुनिया के 16 देशों ने इस गठबंधन में शामिल होने के लिए अपनी सहमति दे दी है, इनमें बांग्लादेश, आर्मेनिया, भूटान, ब्राजील, कंबोडिया, मिस्र, इथियोपिया, इक्वाडोर, केन्या, मलेशिया, मंगोलिया, नेपाल, नाइजीरिया और पेरु जैसे देश शामिल हैं। इनके अलावा, पर्यावरण व जैव विविधता से जुड़े 10 संगठनों ने भी इस मंच से जुड़ने के प्रति अपनी दिलचस्पी दिखाई है। इनमें स्विजरलैंड से इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर-आईयूसीएन, किर्गिस्तान का विज्ञान और संरक्षण अंतरराष्ट्रीय हिम तेंदुआ ट्रस्ट, रूस का अमूर टाइगर सेंटर जैसे संगठन शामिल हैं।
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