भारतीयों को ब्रांड भारत बनाने पश्चिम के फरमानों पर ध्यान कें‎द्रित नहीं करना चाहिए: सीतारमण

प्राचीन काल से ही विज्ञान में भारत की ताकत अटूट रही है

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बेंगलुरु। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडिया आइडियाज कॉन्क्लेव 2024 में कहा ‎कि अगर हम ‘ब्रांड भारत’ बनाना चाहते हैं, तो हमें सही क्या है, इस बारे में पश्चिम के फरमानों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा ‎कि हम हजारों साल से वस्तुओं का उत्पादन कर रहे हैं, शोषण की बात कभी नहीं उठी और अचानक एक पारंपरिक उद्योग जैसे, मान लीजिए, कालीन बनाने के काम के लिए, आपको पश्चिम के खरीदारों से एक फरमान आया कि आप इन कालीनों को बनाने के लिए बच्चों का उपयोग कर रहे हैं। हम इसे आपसे नहीं खरीदेंगे। सीतारमण ने कहा ‎कि भारत में परिवार बच्चों को स्कूली शिक्षा से वंचित किए बिना शिल्पकार बनाने में लगे हुए हैं, क्योंकि जब तक शिल्प बहुत कम उम्र में नहीं सीखा जाता है, एक शिल्पकार कभी इसमें महारत हासिल नहीं कर सकता। ऐसे में हमें खड़े होकर कहना होगा कि हम उनकी शिक्षा का ख्याल रखते हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर नैतिक उत्पादन के लिए जिस तरह के कदम उठाने की जरूरत है, वे हमारी तरफ से अपने आप होने चाहिए, न कि पश्चिमी फरमानों के जारी होने के बाद किए जाने चाहिए। सीतारमण ने यह भी कहा कि हमारे मंदिरों और हमारे प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों का महत्व अभी की तुलना में बहुत अधिक होना चाहिए। लोगों को यह बताने की जरूरत है कि प्राचीन काल से ही विज्ञान में भारत की ताकत अटूट रही है। सीतारमण ने कहा कि भारत के पास सुश्रुत संहिता जैसे प्राचीन ग्रंथों की बदौलत ज्ञान का समृद्ध भंडार है। ये प्राचीन भारत के ब्रांड हैं, जिनका हम आज भी उल्लेख करते हैं।

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