असंवेदनशील और अमानवीय’, दुष्कर्म के प्रयास वाले मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी पर ‘सुप्रीम’ फटकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की उस टिप्पणी पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि केवल छाती पकड़ना, पायजामा का नाड़ा खींचना दुष्कर्म के प्रयास का अपराध नहीं है। कोर्ट ने कहा कि टिप्पणी पूरी तरह असंवेदनशीलता और अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में की गई विवादास्पद टिप्पणियों पर शुरू की गई स्वत: संज्ञान कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, यूपी सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश की ओर से पूरी तरह असंवेदनशीलता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि यह फैसले को लिखते हुए अपनाई गई असंवेदनशीलता को दर्शाता है।’ पीठ, जिसमें जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल हैं, ने कहा, ‘यह फैसला अचानक नहीं सुनाया गया। इसे सुरक्षित रखा गया और चार महीने बाद सुनाया गया। यानी कि इसमें दिमाग का इस्तेमाल किया गया था।’