जाति का जिक्र किए बिना अपमानित करने की घटना अपराध नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी कानून के तहत दर्ज मामले पर सुनाया फैसला

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नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है जिसमें देश की कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी समुदाय से आने वाले किसी भी व्यक्ति को उसकी जाति का जिक्र किए बिना अपमानित करने की घटना को एससी-एसटी कानूनों के कड़े प्रावधानों के तहत अपराध नहीं माना जाएगा। जस्टिस जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की युगलपीठ ने एक ऑनलाइन मलयालम न्यूज चैनल के संपादक शाजन स्कारिया को अग्रिम जमानत देते हुए अपना यह अहम फैसला सुनाया।
बता दें कि संपादक स्कारिया पर एससी-एसटी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि उन्होंने एससी समुदाय से आने वाले सीपीएम विधायक पीवी श्रीनिजन को माफिया डॉन कह दिया था। ट्रायल कोर्ट और केरल हाईकोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। स्कारिया के वकील सिद्धार्थ लूथरा और गौरव अग्रवाल की दलीलों को कोर्ट ने मान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी समुदाय के किसी सदस्य का जानबूझकर किया गया अपमान या धमकी जाति-आधारित अपमान की भावना पैदा नहीं करती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी राय में प्रथम दृष्टया ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह संकेत दे कि संपादक स्कारिया ने यूट्यूब पर वीडियो प्रकाशित करके अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ दुश्मनी, घृणा या दुर्भावना की भावनाओं को बढ़ावा दिया हो। वीडियो का एससी या एसटी के सदस्यों से सामान्य रूप से कोई लेना-देना नहीं है। उनका निशाना सिर्फ श्रीनिजन थे। पीठ ने कहा कि अपमानित करने के इरादे को उस व्यापक संदर्भ में समझा जाना चाहिए, जिसमें हाशिए पर पड़े समूहों के अपमान की अवधारणा को विभिन्न विद्वानों ने समझा है।
माफिया डॉन संदर्भ का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा कि निंदनीय आचरण और दिए गए अपमानजनक बयानों की प्रकृति को देखते हुए स्कारिया के बारे में यह कहा जा सकता है कि उसने प्रथम दृष्टया में मानहानि का अपराध किया है। यदि ऐसा है तो शिकायतकर्ता के लिए अपीलकर्ता के विरुद्ध तदनुसार मुकदमा चलाया जा सकता है।

 

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