दुबई। कार्बन उत्सर्जन कम करना पूरी दुनिया के सामने बड़ी चुनौती है। जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर लड़ाई और पर्यावरण बचाने के संघर्ष में भारत, अमेरिका और चीन जैसे देश अक्सर एक साथ खड़े दिखते हैं। हालांकि, कार्बन उत्सर्जन के मामले में भारत को चीन और अमेरिका जैसे देशों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। यह कहना है यूरोपीय संसद के वरिष्ठ सदस्य- पीटर लिसे का। उन्होंने कहा कि जिन देशों में उच्च प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन हो रहा है, ऐसे देशों की सूची में भारत को भी शामिल करना स्वीकार नहीं किया जा सकता। पीटर जर्मन राजनेता हैं।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता (COP28) में अपनी बातें रखने के दौरान पीटर लिसे ने कहा, भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन ‘बहुत कम’ है, ऐसे में इस देश को अमेरिका और चीन जैसे देशों की सूची में शामिल किया जाना स्वीकार नहीं हो सकता। जर्मन राजनेता ने कहा, जब जर्मनी में लोगों के पास दो कारें हैं तो भारतीय लोगों को एक कार रखने में सक्षम होना चाहिए। गौरतलब है कि प्रति व्यक्ति उत्सर्जन कम होने के बावजूद जलवायु वार्ता के दौरान भारत को अमेरिका जैसे प्रमुख कार्बन उत्सर्जकों के साथ जोड़ने के ठोस प्रयास किए गए हैं।