JABALPUR: गुड-फ्राइडे पर क्रूस की दु:खमयी यात्रा का सजीव मंचन

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जबलपुर। लड़खड़ाते कदम… लहूलुहान बदन… सिर पर काँटों का ताज एवं भारी क्रूस के बोझ को लेकर चलते प्रभु येसु को देखकर शहर की मुख्य सड़कों पर चल रहे राहगीर थम गये। कौतूहलवश वे इस दर्दनाक एवं दु:खमयी यात्रा के दृश्यों को देखकर आंसू बहा रहे थे। अवसर था गुड-फ्राइडे (पुण्य शुक्रवार) के पावन अवसर पर बालक येसु के तीर्थ स्थल, होली ट्रिनिटी चर्च द्वारा निकाली जा रही क्रूस की दु:खमयी यात्रा का। जिसमें नगर के विभिन्न चर्चों के ख्रीस्तीय कलाकार प्रभु येसु के दु:खभोग के दृश्यों को सजीव मंचन कर रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दो हजार वर्षों पूर्व येरुषलेम की सड़कों पर मुक्तिदाता येसु मसीह को क्रूस देकर जो यातनायें दी गईं थी, वो हजारों आँखों के सामने सजीव हो उठीं। संस्कारधानी के संपूर्ण ख्रीस्तीय समाज के साथ-साथ अन्य धर्मावलंबी भाई-बहिनों की आँखें भी येसु को क्रूस लिये देखकर नम हो गईं। इस क्रूस यात्रा के दौरान दर्द भरे धार्मिक गीतों- ‘‘प्यारे येसु अब तो गुनाहों से तौबा’’, ‘‘जो क्रूस पे कुर्बान है वो मेरा मसीहा है’’, ‘‘जमी रो उठी आसमाँ रो उठा हमारा मसीह क्रूस उठा के चला’’, ‘‘काँटें हो रहा पर कभी चलते ही जायें हम’’… गाते हुये अश्रुपूर्ण नेत्रों से विश्वासियों की सहभागिता देखने को मिली।
इस क्रूस की दुखमयी यात्रा में गेतसेमनी बाग में येसु द्वारा प्रार्थना के दृश्य से लेकर महल में पेशी, येसु को रोमी राज्यपाल पिलातुस द्वारा प्राणदंड की सजा, कांधों पर क्रूस लाद कर कलवारी पहाड़ के मार्ग पर लड़खड़ाते हुये चलते येसु राह में धर्मी स्त्री वेरोनिका एवं येरुशलेम की स्त्रियों से मिलते हैं, जहाँ स्त्रियाँ येसु को प्राण पीड़ा में देखकर रोती-बिलखती है। सृष्टिकर्ता की माता मरियम, येसु को देखकर भाव विहिल होकर इन्हें गले से लगाती हैं तथा मुक्तिदाता को क्रूस पथ पर चलने के लिये हौंसला देती है। लहुलूहान पैरों में कंपन होते हैं और येसु मसीह डगमगा कर तीन बार भारी क्रूस के बोझ में दब कर गिरते हैं। कलवारी पहाड़ में अधमरे होकर पहुंचे येसु को क्रूर सैनिकों द्वारा निर्वस्त्र किया जाता है, वस्त्रहीन होने से उनके घाव खुल जाते हैं तथा रक्त-धारा बहने लगती है। सैनिकों द्वारा उन्हें क्रूस पर ठोंक कर क्रूस खड़ा कर देते हैं। जहाँ सात वाणी बोलते-बोलते येसु अपने प्राणों का उत्सर्ग कर देते हैं। इसके पश्चात् उन्हें (येसु) कब्र में रखने के दृश्य का मंचन भी किया गया।
पल्ली महासचिव संजय मैथ्यूस ने जानकारी दी कि वर्ष 1997 से प्रारंभ क्रूस की दु:खमयी यात्रा के मंचन का यह 28वाँ वर्ष है।
इस दौरान पूर्व धर्माध्यक्ष जेराल्ड अलमेडा, पल्ली पुरोहित फादर वालटर खालको ने अपने संदेश में कहा कि हमें प्रभू येशु के गुणों को अपनाना है.
प्रतिवर्ष गुड फ्रायडे पर पल्लियों सहित विभिन्न पल्लियों के विश्वासी कलाकारों द्वारा क्रूस की दु:खमयी यात्रा का सजीव मंचन किया जाता है। इस क्रूस यात्रा में 5 हजार लोगों की उपस्थिति रहती है। क्रूस की दु:खमयी यात्रा में 50 से भी अधिक कलाकारों ने अपने सजीव अभिनय द्वारा लोगों को आकर्षित किया।

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