देहरादून। रक्षा मंत्री राजनाथ ने सिंह ने कहा है कि जलवायू परिवर्तन महज मौसम का मुद्दा नहीं है। बल्कि एक राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय इसे बहुत गंभीरता से ले रहा है और इस संबंध में मित्र देशों से सहयोग मांगेगा। उन्होंने उत्तराखंड में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए हाल ही में शुरू किए गए सिलक्यारा टनल ऑपरेशन में बीआरओ के योगदान का भी विशेष उल्लेख किया। सिंह ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार संगठन से जुड़े लोगों की मेहनत को मान्यता देती है। रक्षा मंत्री ने जोशीमठ में सात राज्यों की छह सड़कें और 29 पुल का उद्घाटन करते हुए कहा कि,‘‘हमने सशस्त्र बलों के बराबर बीआरओ के स्थायी नागरिक कर्मियों के लिए जोखिम और कठिनाई भत्ता सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा कि कैजुअल मजदूरों का अनुग्रह मुआवजा दो लाख रुपए से बढ़ाकर पांच लाख रुपए कर दिया गया है। हाल ही में, मैंने हमारे सीपीएल के लिए 10 लाख रुपए के बीमा के प्रावधान को मंजूरी दी है। ये कदम हमारे सशस्त्र बलों के कर्मियों, नागरिक कर्मचारियों और बीआरओ में सीपीएल के मनोबल को बढ़ाने में मदद करेंगे। सिंह यहां बीआरओ के जवानों से भी मिले और उनका मनोबल बढ़ाया। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में देश की सीमाओं पर कनेक्टिविटी को सुदृढ़ बनाने में बीआरओ के कार्यों की जमकर सराहना भी की।
रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि हमारी सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों को मुख्यधारा का हिस्सा मानती है न कि बफर जोन। उन्होंने कहा,‘‘एक समय था, जब सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था। सरकारें इस मानसिकता के साथ काम करती थीं कि मैदानी इलाकों में रहने वाले लोग ही मुख्यधारा के लोग हैं। उन्हें चिंता थी कि सीमा पर घटनाक्रम का इस्तेमाल दुश्मन द्वारा किया जा सकता है। इसी संकीर्ण मानसिकता के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों तक विकास कभी नहीं पहुंच सका। उन्होंने कहा,‘‘ये सोच आज बदल गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार देश की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। हम इन क्षेत्रों को बफर जोन नहीं मानते हैं। वे हमारी मुख्यधारा का हिस्सा हैं।
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