कहा जा रहा है कि प्रदेश भाजपा के नेताओ ने उनके भाजपा में शामिल होने पर ब्रेक लगा दिया है। चर्चाओं के मुताबिक प्रदेश नेतृत्व के नेताओं का कहना था कि जब सब बाहर से ही आ जाएंगे तो हमारे लोगों का क्या होगा? ज्योतिरादित्य सिंधिया के आने के बाद भाजपा के कई पुराने नेताओं के करियर पर संकट आ गया। कई नेता ऐसे भी जिनका क्षेत्र में कोई नाम लेने वाला नहीं बचा है। कमलनाथ के आने के बाद ही छिंदवाड़ा और महाकौशल में सालों से संघर्ष कर रहे भाजपा नेताओं का क्या होगा? यही सवाल प्रदेश नेतृत्व को खाए जा रहा है।
सिंधिया के साथ भी चुनौती
यह चुनौती सिर्फ प्रदेश भाजपा नेतृत्व को ही नहीं है बल्कि तीन साल पहले कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने भी खुद को बनाए रखने का चैलेंज होगा, क्योंकि कमलनाथ से अदावत के बाद ही उन्होंने कांग्रेस छोड़ी थी। अब यदि कमलनाथ भाजपा में शामिल होते हैं तो साथ मिलकर काम करना होगा। ऐसे में सिंधिया की राह आसान नहीं होगी, क्योंकि दोनों बड़े नेता है। दोनों की एंट्री आलाकमान के जरिए होगी। सिंधिया की एंट्री भी आलाकमान के जरिए हुई। कमलनाथ भी यदि भाजपा में आते हैं तो दिल्ली के जरिए ही आएंगे। ऐसे में प्रदेश के नेताओं के साथ ट्विनिंग आसान नहीं होगी। शायद यही वजह है कि प्रदेश नेतृत्व असमंजस में है।
उधर, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी मीडिया का दुरुपयोग कर किसी भी राजनेता की छवि खराब करने और उसकी अपने दल के प्रति प्रतिबद्धता पर संदेह पैदा करने का षड्यंत्र रचती रही है। उन्होंने कहा कि मेरी कमलनाथ जी से चर्चा हुई है। पटवारी ने कहा कि कमलनाथ जी ने स्पष्ट किया है कि मीडिया में चल रही खबरें निराधार और षड्यंत्र का हिस्सा है। कमलनाथ जी ने कहा है कि “मैं हमेशा कांग्रेसी था, कांग्रेसी हूं और कांग्रेसी ही रहूंगा।