केरल ड्रग्स के चंगुल में : महज तीन साल और बढ़ गए 330 प्रतिशत मामले
नशे में सहायक बन रहा डार्क वेब और क्रिप्टोकरेंसी
नई दिल्ली। केरल में नशे की समस्या खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। ड्रग्स रैकेट का शिकंजा स्कूल स्तर तक पहुंच चुका है, जिससे घरों का माहौल भी बिगड़ रहा है। हिंसा, पारिवारिक कलह और यौन अपराधों में तेजी से इजाफा होने की बात कही जा रही है।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2024 में केरल में 24,517 ड्रग्स से जुड़े मामले दर्ज किए गए, जबकि पंजाब में यह संख्या 9,734 थी। इस प्रकार नशे के मामले में केरल अब पंजाब से भी अधिक गंभीर स्थिति का सामना कर रहा है। इस मामले में केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश वीजी अरुण ने हाल ही में कहा था, कि स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि विधानसभा को अपना कामकाज रोककर इस सामाजिक समस्या पर विचार करना पड़ा। 2021 से 2024 के बीच केरल में ड्रग्स के मामलों में 330प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
स्कूलों तक पहुंचा ड्रग्स, बच्चों पर मंडरा रहा खतरा
केरल में नशे के रैकेट चलाने वालों का पंजा अब स्कूलों तक पहुंच गया है, जिससे युवाओं और उनके परिवार पर खतरा मंडराने लग गया है। गांजा से लेकर सिंथेटिक ड्रग्स तक का उपयोग तेजी से बढ़ा है। डॉक्टर, छात्र, युवा—हर वर्ग में ड्रग्स की लत बढ़ रही है। शैक्षणिक संस्थान अब ड्रग्स के हॉटस्पॉट बन गए हैं। ड्रग्स अब कैंडी और आइसक्रीम के रूप में भी मिल रहे हैं। ड्रग टेस्ट किट की बिक्री बढ़ रही है, क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों की जांच करने के लिए इन्हें खरीद रहे हैं।
ड्रग्स तस्करी के प्रमुख केंद्र
रिपोर्ट में बताया गया है कि एमडीएमए की सबसे ज्यादा सप्लाई, तटीय इलाका तस्करी का केंद्र बना हुआ है। परंपरागत ड्रग्स (गांजा, हेरोइन) के साथ अब सिंथेटिक ड्रग्स (एमडीएमए, क्रिस्टल) का उपयोग तेजी से बढ़ा है। बेंगलुरु और चेन्नई से केरल में ड्रग्स की आपूर्ति हो रही है। केरल की 590 किमी लंबी तटरेखा इसे ड्रग्स तस्करी के लिए संवेदनशील बनाती है।
सुपरबाइक से ड्रग डिलीवरी
दावा किया गया है कि सुपरबाइक से ड्रग नेटवर्क खूब फल-फूल रहा है। इस वाईक के जरिए युवा तस्कर बन रहे हैं। रात में सुपरबाइक दौड़ती दिखती है तो यही समझा जाता है कि ड्रग डिलीवरी चल रही है। आरोप है कि 18 से 24 साल के युवा फर्जी नंबर प्लेट लगाकर ड्रग्स डिलीवरी करने का काम करते हैं। बताया गया है कि एक डिलीवरी पर 1,हजार रुपये दिए जाते हैं, इस प्रकार युवा एक रात में 4,हजार रुपये तक कमा लेते हैं।
सोशल मीडिया भी पीछे नहीं
डार्क वेब और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए तस्करी तो हो ही रही है, लेकिन बताया जाता है कि सोशल मीडिया के जरिए खरीदारों से संपर्क किया जाता है। क्रिप्टोकरेंसी के जरिए लेन-देन कर ड्रग्स बेचा जाता है।
पुलिस के लिए चुनौती बना रैकेट
स्थानीय पुलिस के लिए ड्रग्स रैकेट चुनौती बनता जा रहा है। बेरोजगारी और तनाव से नशे की दुनियां में कदम रखने वाले युवाओं को रोक पाना एक बड़ी चुनौती है। ड्रग्स का रैकेट चलाने वालों को गिरफ्तार करना पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। यदि इस पर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो केरल में ड्रग्स की समस्या और भी भयावह रूप ले सकती है।