नई दिल्ली कांग्रेस ने हिंदी बेल्ट के दो प्रमुख राज्यों, उत्तर प्रदेश और बिहार, में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए खास कदम उठाए हैं। हालांकि, इन दोनों राज्यों में पार्टी फिलहाल क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन में है, लेकिन वह अपनी जमीनी मौजूदगी और संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है। खासकर बिहार में, जहां कांग्रेस लंबे समय से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ गठबंधन में रही है, वहां पार्टी अपनी स्वतंत्र पहचान को भी मजबूत करना चाहती है।
लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस को बिहार में तीन और उत्तर प्रदेश में छह सीटें मिली थीं। इन सीटों ने पार्टी में नई उम्मीद जगाई है। इसी कारण कांग्रेस नेतृत्व बिहार पर विशेष ध्यान दे रहा है। हाल ही में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दो बार बिहार का दौरा किया है और अब 25 मार्च को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी बिहार कांग्रेस को लेकर एक अहम बैठक करने जा रहे हैं। इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनावों और संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर चर्चा होगी।
बिहार कांग्रेस में नए चेहरे और नेतृत्व परिवर्तन
बिहार में कांग्रेस संगठन को नया स्वरूप देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। राहुल गांधी ने अपने करीबी और युवा नेता कृष्णा अलावरू को बिहार कांग्रेस का प्रभारी नियुक्त किया है। इसके अलावा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर भी बदलाव किया गया है। भूमिहार नेता अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह दलित नेता राजेश कुमार को बिहार कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया गया है।
राहुल गांधी देशभर में जातिगत जनगणना को लेकर अभियान चला रहे हैं, और बिहार कांग्रेस की कमान दलित नेता को सौंपने को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इससे कांग्रेस समाज के एक बड़े वर्ग को साधने का प्रयास कर रही है।
युवा नेतृत्व और कन्हैया कुमार की भूमिका
कांग्रेस ने बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए युवा नेताओं को आगे बढ़ाने की योजना बनाई है। खासतौर पर कन्हैया कुमार को अहम जिम्मेदारी दी गई है। कन्हैया बिहार में ‘पलायन रोको, रोजगार दो’ अभियान के तहत पदयात्रा कर रहे हैं, जिसे जनता से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। कन्हैया कुमार को प्रदेश कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई का प्रभारी भी बनाया गया है। हालांकि, उनके बढ़ते कद से पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता असहज महसूस कर रहे हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने शुरू में कन्हैया की भूमिका को लेकर असहमति जताई थी, लेकिन उन्हें अंततः पार्टी के फैसले को स्वीकार करना पड़ा।
पप्पू यादव को अहम जिम्मेदारी मिलने के संकेत
बिहार में कांग्रेस अपनी स्वतंत्र स्थिति को मजबूत करने के लिए पप्पू यादव को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप सकती है। पप्पू यादव की आरजेडी के साथ पुरानी राजनीतिक खींचतान रही है, और कांग्रेस इस समीकरण को अपने पक्ष में इस्तेमाल करने की योजना बना रही है।
आरजेडी के साथ गठबंधन और भविष्य की रणनीति
फिलहाल कांग्रेस बिहार में आरजेडी के साथ गठबंधन में बनी हुई है, लेकिन पार्टी अपनी मजबूत जमीनी पकड़ के आधार पर आगामी चुनावों में सम्मानजनक सीट बंटवारे की उम्मीद कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के इस नए प्रयोग से बिहार में उसकी स्थिति मजबूत हो सकती है।