मकर संक्रांति पर बाबा महाकाल का अलौकिक शृंगार; पहले तिल का उबटन, फिर गर्म जल से स्नान के बाद रमाई भस्म
उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में सोमवार सुबह मकर संक्रांति पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान सुबह चार बजे भस्म आरती में पुजारी व पुरोहितों द्वारा भगवान महाकाल को तिल का उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराया गया। फिर नए वस्त्र और सोने चांदी के आभूषण के साथ ही भगवान का मेवे से शृंगार कर भस्म रमाई गई। इसके बाद भगवान को तिल्ली के लड्डू और तिल से बने छप्पन पकवानों का भोग लगाकर आरती भी की गई।
पं. अभिषेक शर्मा (बाला गुरु) ने बताया कि ज्योतिर्लिंग की पूजन परंपरा में मकर संक्रांति के अवसर पर भगवान महाकाल को तिल से स्नान कराने और तिल्ली के पकवानों का भोग लगाने की परंपरा है। इस दिन भगवान को गुड़ और शक्कर से बने तिल्ली के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। ज्योतिर्लिंग की जलाधारी में भी तिल्ली अर्पित की जाती है।
आज निकलेगी सूर्य देव की सवारी
इंदौर के आध्यात्मिक गुरु कृष्णा मिश्रा गुरुजी ने बताया कि आज शनि नवग्रह मंदिर त्रिवेणी (उज्जैन) में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सूर्य देव की सवारी निकाली जाएगी। सवारी का संदेश पिता पुत्र के रिश्तों में मिठास बनाए रखने का होगा। ज्योतिषी में सूर्य देव, शनि देव पिता पुत्र होते हुए भी पारस्परिक शत्रु हैं। पर फिर भी एक दूसरे के घर आना जाना बंद नहीं करते। यही संदेश इस यात्रा के माध्यम से दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि आज शनि त्रिवेणी मंदिर के सूर्य देव के गर्भगृह से मंदिर से 101 बटुक ब्राह्मण राम धुन पर सूर्य नमस्कार के बाद पालकी में सवार सूर्य ग्रह की सवारी रामधुन ताशे, ढोल, फूलों की तोप त्रिवेणी नदी तक ले जाकर निकालेंगे।
इंदौर के आध्यात्मिक गुरु कृष्णा मिश्रा गुरुजी ने बताया कि आज शनि नवग्रह मंदिर त्रिवेणी (उज्जैन) में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सूर्य देव की सवारी निकाली जाएगी। सवारी का संदेश पिता पुत्र के रिश्तों में मिठास बनाए रखने का होगा। ज्योतिषी में सूर्य देव, शनि देव पिता पुत्र होते हुए भी पारस्परिक शत्रु हैं। पर फिर भी एक दूसरे के घर आना जाना बंद नहीं करते। यही संदेश इस यात्रा के माध्यम से दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि आज शनि त्रिवेणी मंदिर के सूर्य देव के गर्भगृह से मंदिर से 101 बटुक ब्राह्मण राम धुन पर सूर्य नमस्कार के बाद पालकी में सवार सूर्य ग्रह की सवारी रामधुन ताशे, ढोल, फूलों की तोप त्रिवेणी नदी तक ले जाकर निकालेंगे।