बाप्पा के आपने कई रुप देखे होंगे, लेकिन मध्यप्रदेश के महेश्वर में गजानन की गोबर की मूर्ति है। ये मूर्ति हजारों साल पुरानी है, कहते हैं यहां नारियल चढ़ाकर पा सकते है बाप्पा से मनचाहा वरदान।
माथे पर मुकुट, गले में हार, और खूबूसरत श्रृंगार बाप्पा के इस मनमोहक रूप में छिपा है। भक्तों के हर दुख दर्द का इलाज। गणपति का ये रुप मन मोह लेता है और हैरान भी करता है क्योंकि यहां गणपति को गोबर गणेश के नाम से पुकारते हैं भक्त। मध्य प्रदेश के नीमाड़ क्षेत्र में माहेश्वर कस्बे में बाप्पा देते हैं बड़े ही भव्य रूप में दर्शन। माहेश्वर में महावीर मार्ग पर बनी गणपति की ये प्रतिमा गोबर और मिट्टी से बनी है जिसमें एक बड़ा हिस्सा गोबर का है।
आमतौर पर पूजा-पाठ में हम गोबर के गणपति बनाकर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। मिट्टी और गोबर की मूर्ति में पंचतत्वों का वास माना जाता है और खासकर गोबर में तो मां लक्ष्मी साक्षात वास करती हैं। इसलिए गोबर गणेश मंदिर में आने वाले भक्तों की मान्यता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों को भगवान गणेश के साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है।
मंदिर में बाप्पा अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि-सिद्धि संग देते हैं दर्शन और करते हैं भक्तों का कल्याण। भक्तों का भी मानना है कि यहां आने से गणपति सभी भक्तों की इच्छा पूरी कर देते हैं। यही वजह है कि भक्त यहां उल्टा स्वास्तिक बनाकर भगवान तक पहुंचाते हैं। अपनी फरियाद और मनोकामना पूरी होने के बाद यहां आकर सीधा स्वास्तिक बनाना नहीं भूलते।
महेश्वर के महावीर मार्ग पर स्थित गोबर गणेश मंदिर में दर्शन के लिए साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है।
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