CAPF: पुरानी पेंशन पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 11 लाख जवानों-अफसरों को झटका, सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं
नई दिल्ली। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के उन 11 लाख जवानों/अधिकारियों के लिए झटका है, जो सुप्रीम कोर्ट से ‘पुरानी पेंशन’ मिलने की आस लगाए बैठे थे। सोमवार को सर्वोच्च अदालत ने इस मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने उस निर्देश पर अंतरिम रोक की पुष्टि की है, जिसमें पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस), सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के अनुसार, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों/केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मियों पर भी लागू होने की बात कही गई थी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए भारत संघ को अनुमति देते हुए यह आदेश पारित किया है। इसके तहत प्रतिवादियों/सीएपीएफ कर्मियों की याचिकाओं का निपटान उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार किया गया था। सीएपीएफ में ओपीएस लागू कराने के लिए ये याचिकाएं पवन कुमार एवं अन्य के द्वारा दायर की गई थी।
पवन कुमार मामले में यह माना गया था कि केंद्रीय अर्धसैनिक बल, ‘संघ के सशस्त्र बल’ हैं। ऐसे में पुरानी पेंशन योजना उन पर भी लागू होती है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हुई संक्षिप्त सुनवाई में, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी (संघ के लिए) ने बताया, याचिकाकर्ता देश की रक्षा करने वाले बलों के साथ समानता की मांग कर रहे थे। उच्च न्यायालय ने भी माना है कि ओपीएस का लाभ, पवन कुमार मामले में, यह माना गया कि केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘संघ के सशस्त्र बल’ हैं। पुरानी पेंशन योजना उन पर भी लागू होती है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हुई संक्षिप्त सुनवाई में, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी (संघ के लिए) ने बताया कि याचिकाकर्ता, देश की रक्षा करने वाले बलों के साथ समानता की मांग कर रहे थे। उच्च न्यायालय ने माना है कि ओपीएस का लाभ, सीएपीएफ कर्मियों पर भी लागू होगा। दूसरी ओर, सीनियर एडवोकेट अंकुर छिब्बर ने प्रतिवादियों (सीएपीएफ कर्मियों) की ओर से अनुरोध किया कि इस मामले में एक निश्चित तारीख दे दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने उनके अनुरोध को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया गया कि मामला इतना जरूरी नहीं है। इसकी सुनवाई में कुछ समय लगेगा। वे छह से आठ सप्ताह बाद जल्दी सुनवाई के लिए ऐप्लिकेशन मूव कर सकते हैं।
सीएपीएफ के 11 लाख जवानों/अफसरों ने गत वर्ष ‘पुरानी पेंशन’ बहाली के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से अपने हक की लड़ाई जीती थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया। इस मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले लिया। जब केंद्र सरकार ने स्टे लिया, तभी यह बात साफ हो गई थी कि सरकार सीएपीएफ को पुरानी पेंशन के दायरे में नहीं लाना चाहती। हैरानी की बात तो ये है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल 11 जनवरी को दिए अपने एक अहम फैसले में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों ‘सीएपीएफ’ को ‘भारत संघ के सशस्त्र बल’ माना था। दूसरी तरफ केंद्र सरकार, सीएपीएफ को सिविलियन फोर्स बताती है। अदालत ने इन बलों में लागू ‘एनपीएस’ को स्ट्राइक डाउन करने की बात कही। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, चाहे कोई आज इन बलों में भर्ती हुआ हो, पहले कभी भर्ती हुआ हो या आने वाले समय में भर्ती होगा, सभी जवान और अधिकारी, पुरानी पेंशन स्कीम के दायरे में आएंगे। सर्वोच्च न्यायालय ने गत वर्ष इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था, याचिकाकर्ता ‘विशेष अनुमति याचिका’ (एसएलपी) में संशोधन भी कर सकते हैं। कोई नया दस्तावेज जोड़ सकते हैं।