जेब पर पड़ेगा इतना बोझ
दिल्ली (सराय काले खां) से मेरठ तक सफर के लिए हल्के निजी वाहनों को एक तरफ की यात्रा के लिए 160 रुपये टोल शुल्क देना पड़ता है जो बढ़कर 168 रुपये और हल्के व्यावसायिक वाहनों (एलसीवी) का 250 की जगह 262 रुपये टोल शुल्क देना पड़ सकता है। इसी तरह दिल्ली (सराय काले खां) से हापुड़ तक हल्के निजी वाहनों का टोल शुल्क 165 रुपये से बढ़कर 173 रुपये जबकि हल्के व्यावसायिक वाहन (एलसीवी) का 265 रुपये की जगह 278 रुपये टोल शुल्क देना पड़ सकता है। गाजियाबाद से अलीगढ़ के बीच लुहारली टोल पर निजी वाहनों के लिए 140 रुपये देने पड़ते हैं जो बढ़कर 147 रुपये हो सकते हैं। एनएचएआई अधिकारियों ने बताया कि नई टोल दरों की सही जानकारी दो जून को ही मिल पाएगी।
नई दिल्ली। एक्सप्रेसवे का इस्तेमाल करने वाले मोटर चालकों को सोमवार से अधिक भुगतान करना होगा। दरअसल, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने देशभर में टोल दरों में औसतन पांच फीसदी बढ़ोतरी का फैसला किया है। टोल दरों में हर साल एक अप्रैल को संशोधन होता है। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के कारण बढ़ोतरी टाल दी गई थी। नई टोल दरें तीन जून से लागू होंगी। टोल दरों में बदलाव थोक मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में बदलाव से जुड़ी दरों को संशोधित करने की वार्षिक कवायद का हिस्सा है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब 855 टोल प्लाजा हैं, जिन पर राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों का निर्धारण और संग्रह) नियम, 2008 के अनुसार शुल्क लगाया जाता है। इनमें से 675 सार्वजनिक वित्त पोषित टोल प्लाजा हैं। जबकि 180 रियायतग्राहियों द्वारा संचालित हैं। टोल दरों में बढ़ोतरी के बाद दिल्ली से मेरठ और दिल्ली से हापुड़ तक के सफर के लिए लगभग आठ रुपये ज्यादा चुकाने पड़ सकते हैं, जबकि गाजियाबाद से अलीगढ़ के बीच लुहारली टोल पर सात रुपये ज्यादा चुकाने पड़ सकते हैं। दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, दिल्ली-हापुड़ एक्सप्रेसवे और गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे पर टोल वसूलने की जिम्मेदारी निजी कंपनियों पर है। अनुबंध के मुताबिक हर साल टोल शुल्क में बढ़ोत्तरी का प्रावधान है लेकिन टोल दरें तय करने का अधिकार इन कंपनियों को नहीं है बल्कि एनएचएआई खुद दरें निर्धारित करता है।