खजूर की खेती के कारण केरल में फैलता है निपाह वायरस

चमगादड़ों का पसंदीदा फल हैं खजूर

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नई दिल्ली। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने निपाह वायरस से एक किशोर की मौत होने की पुष्टि की है। मंत्री के अनुसार, निपाह से संक्रमित लड़के का इलाज कोझिकोड में चल रहा था। 21 जुलाई को हार्ट अटैक के चलते उसकी जान चली गई।
जानकारी के मुताबिक लड़के को 20 जुलाई को निपाह पॉजिटिव पाया गया था और उसे कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया गया था। उसे मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का डोज दिया जाना था। दवा जब तक पुणे से कोझिकोड पहुंचती, उससे पहले ही उसकी जान चली गई। केरल सरकार के मुताबिक राज्य में अब तक कुल 3 पॉजिटिव केस आ चुके हैं। कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में 77 लोग ऐसे मिले हैं, जिन्हें हाई रिस्क कैटेगरी में रखा गया है। इन सबको क्वारंटीन कर दिया गया है। निपाह वायरस एक संक्रामक रोग है, जो पहली बार साल 1998-1999 मलेशिया और सिंगापुर में पालतू सूअरों में देखा गया। उस वक्त इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए करीबन 10 लाख सूअरों को मार दिया गया था। पर बीमारी रुकी नहीं। सूअरों के जरिए यह बीमारी इंसानों में फैली। साल 2001 में बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर लोग निपाह वायरस की चपेट में आए। इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाला ताड़ी पी थी।
वैज्ञानिकों के मुताबिक खजूर के पेड़ तक वायरस चमगादड़ों के जरिए पहुंचा, जिसे ‘फ्रूट बैट’ भी कहा जाता है। विशेषज्ञ की मानें तो केरल में बड़े पैमाने पर खजूर की खेती होती, जो चमगादड़ों का पसंदीदा। चमगादड़ खजूर का फल खाते हैं, उसमें दांत लगाते हैं, सलाइवा या यूरिन करते हैं तो ये संक्रमित हो सकता है। यह फल कोई दूसरा जानवर या इंसान खा ले तो उसका निपाह संक्रमित होना तय है। विशेषज्ञ कहते हैं कि निपाह वायरस शुरू में असिम्प्टोटिक होता है। यानी इसके कोई लक्षण नहीं दिखते। 3-4 दिन के अंदर बुखार, उल्टी, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। शुरुआती लक्षण वायरल बुखार जैसे नजर आते हैं, लेकिन यह इतना खतरनाक है कि तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। इंसेफेलाइटिस तक हो सकता है। अगर समय पर इलाज ना मिले तो मरीज कोमा में भी जा सकता है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के मुताबिक निपाह वायरस से मौत का अनुपात 40 से 75 फ़ीसदी के आसपास है। निपाह वायरस की अभी तक कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अभी तक न तो जानवरों और न ही इंसानों के लिए निपाह वायरस की कोई वैक्सीन डेवलप की जा सकी है। निपाह से संक्रमित मरीजों को सपोर्टिव मेडिसिन दी जाती है, जो लक्षणों का असर काम करता है। प्रो सुनीत सिंह कहते हैं कि निपाह वायरस ज्यादातर डेवलपिंग कंट्रीज तक सीमित है। विकसित देशों में इसके बहुत ज्यादा मामले नहीं हैं, जैसे- अमेरिका या यूरोप। इसलिये इसकी वैक्सीन में किसी बड़ी कंपनी की दिलचस्पी नहीं है। इस मामले में अब केरल सरकार उन सभी लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, जो संक्रमित लड़के के संपर्क में आए थे। इस बीच केंद्र सरकार की एक टीम भी कोझिकोड पहुंच गई है।

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