अब सांसद पुत्र को उपमुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं एकनाथ शिंदे

शिंदे की गुगली से भाजपा आलाकमान के सामने नई संकट

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मुंबई। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में महायुति की भारी जीत के बाद एक ही सवाल खड़ा हो गया है कि महायुति का मुख्यमंत्री कौन होगा। शुरुआत में एकनाथ शिंदे ने दोबारा मुख्यमंत्री पद पाने के लिए मजबूत माहौल बनाकर बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश की। हालांकि, 137 विधायकों का समर्थन हासिल करने वाली बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को साफ संदेश दे दिया कि इस दबाव को धता बताकर देवेंद्र फड़णवीस ही मुख्यमंत्री बनेंगे। इसके बाद एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद की दौड़ से हट गए हैं, लेकिन उनके गुगली फेंकने से महायुति के सामने नई शर्मिंदगी पैदा हो गई है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को उनके इस्तीफे के बदले केंद्र में एक महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री पद या राज्य में उपमुख्यमंत्री पद की पेशकश की थी। हालांकि एकनाथ शिंदे ने ये दोनों ऑफर ठुकरा दिए हैं। इसके बदले एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के सामने एक नया प्रस्ताव रखा है। अगर मुझे राज्य में मुख्यमंत्री का पद नहीं मिलता है तो मुझे महायुति सरकार के संयोजक का पद दिया जाना चाहिए क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव मेरे नेतृत्व में लड़ा गया था। साथ ही एकनाथ शिंदे ने मांग की है कि उनके बेटे और सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे को राज्य में उपमुख्यमंत्री का पद दिया जाना चाहिए। एकनाथ शिंदे की इस मांग ने बीजेपी और महायुति के नेताओं को सकते में डाल दिया है। खबर है कि बीजेपी ने अभी तक इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बीजेपी हलकों में अभी भी असमंजस की स्थिति है और इसी के चलते यह जानकारी सामने आई है कि महायुति सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में देरी हो रही है। अब देखना होगा कि एकनाथ शिंदे के ऑफर को लेकर बीजेपी के थिंक टैंक के नेता क्या रुख अपनाते हैं। दरअसल एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद छोड़ने के इच्छुक हैं, लेकिन यह देखना बाकी है कि श्रीकांत शिंदे को सीधे उपमुख्यमंत्री नियुक्त करने का फैसला बीजेपी नेताओं को कितना पसंद आएगा। क्योंकि सवाल ये है कि अब तक दिल्ली की राजनीति से जुड़े रहे श्रीकांत शिंदे को सीधे अजित पवार की लाइन में लाना कितना उचित होगा। राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव दोनों ही मामले में अजित पवार श्रीकांत शिंदे से कई गुना बेहतर हैं। ऐसे में अजित पवार और बीजेपी नेता श्रीकांत शिंदे को सीधे अपने बराबर का पद देना कितना चाहेंगे इसमें संदेह है।

 

अजित पवार के चलते शिंदे हुए विफल
महायुति ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में राज्य में विधानसभा चुनाव लड़ा था। उस समय देवेन्द्र फड़णवीस और अजित पवार ने भी सार्वजनिक रूप से कहा था कि हमारा नेतृत्व एकनाथ शिंदे के पास है। लेकिन चुनाव में बीजेपी ने 132 सीटें जीतीं। इसलिए मुख्यमंत्री पद पर बीजेपी का दावा मजबूत हो गया। उधर एकनाथ शिंदे ने कम से कम ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद पाने की मांग की थी। लेकिन एनसीपी अजित गुट ने मुख्यमंत्री पद के लिए देवेन्द्र फड़नवीस को समर्थन देकर शिंदे गुट की मांग की हवा निकाल दी। इसलिए शिंदे गुट के रामदास कदम ने अफसोस जताया कि अजीत पवार गुट के समर्थन ने हमारी सौदेबाजी की शक्ति को कम कर दिया है।

अजित पवार को भी सबक सिखाना है शिंदे का मकसद
चूँकि अजित पवार नहीं चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनें इसलिए उन्होंने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने की जोरदार वकालत कर दी है जिससे एकनाथ शिंदे बैकफुट पर आ गए हैं। लेकिन राजनीति के धुरंदर माने जाने वाले एकनाथ शिंदे ने भी अब अजित पवार को सबक सिखाने के लिए अपने सांसद पुत्र श्रीकांत शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग भाजपा के समक्ष कर दी है। सूत्रों की मानें तो शिंदे अजित पवार को सबक सिखाने के मुड में हैं। इन सब कारणों से भाजपा आलाकमान भी धर्म संकट में है।

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