उत्तरकाशी निर्माणाधीन सुरंग अब 9 से 12 मीटर की ही ड्रिलिंग शेष

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उत्तरकाशी । दिवाली के दिन से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में हुए हादसे में फंसे 41 श्रमिक जल्द बाहर आ सकते हैं। रेस्क्यू का आज 13वां दिन है। केंद्र सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री रिटायर्ड जनरल वीके सिंह सिलक्यारा में ही मौजूद है। वह अब तक दो बार सुरंग के अंदर जाकर ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू करने की कवायद का जायजा ले चुके हैं। सिलक्यारा टनल के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले टनल विशेषज्ञ कर्नल परिक्षित मेहरा ने बताया कि जल्द ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू होगा। बताया कि सब कुछ ठीक रहा तो शाम पांच बजे तक एस्केप टनल बनाने का काम पूरा हो जाएगा। अब 9 से 12 मीटर की ही ड्रिलिंग शेष है।

पीएम मोदी लगातार ले रहे अपडेट

उत्तरकाशी सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए जारी रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर पीएम मोदी लगातार अपडेट ले रहे हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी लगातार उनसे संपर्क कर अपडेट ले रहे हैं। आज भी पीएम मोदी ने उनसे रेस्क्यू ऑपरेशन की स्थिति के बारे में जानकारी ली। साथ ही जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए।

मजदूरों बढ़ा उत्साह

सुरंग से बाहर आए कर्मचारियों ने बताया कि भीतर वेल्डिंग के धुएं की महक मजदूरों तक पहुंची हैं। उन्होंने वॉकी-टॉकी पर भीतर से ये जानकारी दी है। इससे 13 दिन से सुरंग में कैद मजदूरों का उत्साह बढ़ गया है।

सुरंग में एडवांस ड्रोन ने आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस से दिखाई राह

बंगलूरू की स्क्वाड्रोन इंफ्रा के छह टनलिंग-माइनिंग विशेषज्ञ इंजीनियर की टीम ने सुरंग में पहुंचकर आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस से भीतर के हालात बताए, जिससे अभियान को अंजाम तक पहुंचाने में काफी मदद मिली। बीआरओ के डीडीजी ब्रिगेडियर विशाल वर्मा ने मलबे के भीतर ड्रिल में आ रही दुश्वारियों के बीच बंगलूरू की स्क्वाड्रोन इंफ्रा एंड माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की मदद ली।

अब मजदूरों को दिया जा रहा पका हुआ भोजन

सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों के साथ ही बचाव कार्य में लगे लोगों का भी खाने-पीने का भी ध्यान रखने वाली सात सदस्यीय टीम के लीडर रत्नाकर दास ने बताया कि पूर्व में 4 इंच के पाइप से हर 45 मिनट में अंदर फंसे मजदूरों को मुरमुरे, भूने चने, भीगे चने, बादाम, काजू, किशमिश और पॉपकार्न व मूंगफली दी जाती थी। जिसे वह स्टोर करके खाया करते थे। अब छह इंच का पाइप पहुंचने के बाद से मजदूरों को पका हुआ भोजन दिया जा रहा है। उनकी टीम मजदूरों और बचाव कार्य में लगी टीम के सुबह के नाश्ते, दिन व रात के खाने को पहुंचाने में दिन-रात जुटी रहती है।

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