‘विपक्ष के नेता को बोलने नहीं दिया जा रहा’, विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने ओम बिरला से की मुलाकात

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नई दिल्ली। विपक्षी पार्टियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की। इस मुलाकात में विपक्षी नेताओं ने लोकसभा में नेता विपक्ष को बोलने नहीं देने का आरोप लगाते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की। लोकसभा में कांग्रेस के उप-नेता गौरव गोगोई ने कहा कि इंडी गठबंधन, जिसमें कांग्रेस, सपा, टीएमसपी, डीएमके, केरल कांग्रेस, राजद, आईयूएमएल, आरएलपी और एमडीएमके के सांसद मौजूद रहे आज शून्य काल के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिले।
कांग्रेस ने लोकसभा अध्यक्ष के सामने जताई नाराजगी
गौरव गोगोई ने कहा कि ‘हमने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र सौंपा, जिसमें कई पार्टियों के नेताओं के हस्ताक्षर हैं। इनमें आरएसपी और शिवेसना यूबीटी भी शामिल हैं। हमने लोकसभा अध्यक्ष के सामने अपनी चिंता जाहिर की कि किस तरह से सत्ताधारी दल नियमों और परंपराओं का उल्लंघन कर रहा है।’ कांग्रेस सांसद ने कहा कि ‘लोकसभा अध्यक्ष ने नियम संख्या 349 का हवाला दिया, लेकिन उन्होंने किस घटना को लेकर ये हवाला दिया, ये स्पष्ट नहीं है। अब लोकसभा अध्यक्ष के बयान का राजनीतिकरण किया जा रहा है।’

उल्लेखनीय है कि बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नेता विपक्ष राहुल गांधी को सदन में मर्यादित आचरण करने और सदन के नियमों का पालन करने की नसीहत दी थी। इसके तुरंत बाद लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी और नेता विपक्ष को बोलने का भी मौका नहीं दिया गया। इसके बाद राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया कि उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा है और सत्ताधारी दल मनमानी कर रहा है।

डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति न होने पर जताई नाराजगी
गौरव गोगोई ने कहा कि ‘जब नेता विपक्ष जवाब देने के लिए उठे तो सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। पूरे देश ने ये देखा। नेता विपक्ष एक संवैधानिक पद होता है, उनके बारे में टिप्पणी की गई, लेकिन जब वे बोलने के लिए उठे तो उन्हें बोलने नहीं दिया गया। किस बात को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ने ये टिप्पणी की, ये भी साफ नहीं है, लेकिन भाजपा की आईटी सेल अब इसका राजनीतिकरण कर रही है।’ विपक्षी पार्टियों ने लोकसभा अध्यक्ष के साथ मुलाकात में डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति न होने का भी मुद्दा उठाया। संविधान के अनुच्छेद 93 का हवाला देते हुए विपक्षी नेताओं ने कहा कि इसमें डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति का प्रावधान है, लेकिन साल 2019 से इस पद पर नियुक्ति नहीं हुई है, जो अभूतपूर्व है। सदन की निष्पक्ष कार्रवाई में डिप्टी स्पीकर की भूमिका अहम होती है। बीते हफ्ते सदन में बिना किसी पूर्व सूचना के पीएम मोदी के संबोधन पर भी विपक्ष ने आपत्ति जताई और कहा कि यह संसदीय नियमों का मजाक है।

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