याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाई। राहुल गांधी को अभी तक आरोपों से बरी नहीं किया गया है। ऐसे में उनकी संसद सदस्यता बहाल करने वाले नोटिफिकेशन को खारिज किया जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि ऐसी याचिका दायर होने से ना सिर्फ अदालत बल्कि रजिस्ट्री विभाग का भी कीमती समय बर्बाद होता है। इसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
दरअसल मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी के चलते राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया गया था। इस मामले में गुजरात की अदालत ने राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई। सजा के चलते राहुल गांधी को संसद सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया। इसके खिलाफ राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल करने का नोटिफिकेशन जारी कर राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल कर दी थी। लोकसभा सचिवालय के इसी नोटिफिकेशन के खिलाफ लखनऊ के वकील अशोक पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।