यूपीएससी की ओर से नरेश कौशिक ने बताया कि प्रेस विज्ञप्ति इसलिए जारी की गई क्योंकि पूजा खेडकर का पता अज्ञात था। प्रेस विज्ञप्ति ने उनकी उम्मीदवारी रद्द करने के संबंध में एक औपचारिक सूचना के रूप में कार्य किया। यूपीएससी ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि वह पूजा खेडकर को उनकी उम्मीदवारी रद्द करने का आदेश दो दिनों के भीतर प्रदान करेगा। अदालत ने खेडकर को उनकी उम्मीदवारी रद्द करने को चुनौती देने के लिए उचित मंच पर जाने की छूट दी है। बता दें कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने पूजा खेडकर की अस्थाई उम्मीदवारी को रद्द कर दिया है। इसके अलावा खेडकर पर भविष्य में होने वाली किसी भी परीक्षा में शामिल होने पर रोक लगाई गई। इस आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी। यूपीएससी ने भी पूजा खेडकर को इस बारे में कारण बताओ नोटिस जारी किया था। नोटिस में पूछा गया था कि क्यों न पूजा खेडकर की सिविल सेवा परीक्षा-2022 की उम्मीदवारी को रद्द किया जाए। यूपीएससी ने दिल्ली पुलिस को शिकायत दी थी कि पूजा खेडकर ने अपना नाम, अपने माता-पिता का नाम, अपनी तस्वीर, हस्ताक्षर, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर फर्जी पहचान पहचान पत्र बनवाए। शिकायत में कहा गया है कि खेडकर ने धोखाधड़ी से परीक्षा दी। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने खेडकर के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पूजा खेडकर पर आरोप लगाया गया कि प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी के रूप में उन सुविधाओं की मांग की, जिनकी वे हकदार नहीं थीं। इसके अलावा उन पर एक वरिष्ठ अधिकारी के चैंबर पर कब्जा करने का भी आरोप है। खेडकर पर अपने पद का बेजां दुरुपयोग करने का भी आरोप है। बताया गया है कि पूजा खेडकर ने अपनी निजी ऑडी कार में लाल बत्ती और ‘महाराष्ट्र सरकार’ के प्लेट लगवाई। इस निजी कार में पूजा खेडकर वाशिम की सड़कों पर घूमती नजर आईं।
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नई दिल्ली। महाराष्ट्र की बर्खास्त आईएएस पूजा खेडकर की अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट में आज सुनवाई हो रही है। पूजा खेडकर ने यूपीएससी द्वारा उम्मीदवारी रद्द करने को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था। इस मामले की सुनवाई जस्टिस ज्योति सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है। खेडकर की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह पेश हुईं। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि इस मामले में अजीब बात यह है कि पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द करने का आदेश अभी तक उन्हें प्रदान नहीं किया गया है। उनके पास बस एक प्रेस विज्ञप्ति है। जयसिंह ने तर्क दिया कि प्रेस विज्ञप्ति को रद्द करने की आवश्यकता है। उन्हें आदेश देना होगा ताकि वे उचित न्यायाधिकरण से संपर्क कर सकें।