नहीं हुआ घर में मिले महिला के कंकाल का पोस्टमार्टम, सामने आई ये वजह

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वाराणसी। लंका थाना के मदरवां क्षेत्र स्थित एक मकान से मिले महिला के कंकाल का पोस्टमार्टम बृहस्पतिवार को नहीं हो सका। पुलिस के अनुसार जिला अस्पताल के फॉरेंसिक एक्सपर्ट की देखरेख में पोस्टमार्टम होना है और वह जिले से बाहर हैं। ऐसे में उनके आने पर तीन दिसंबर को पोस्टमार्टम कराया जाएगा और तब जाकर स्पष्ट होगा महिला की मौत कैसे हुई थी। इसके साथ ही कंकाल का डीएनए टेस्ट भी कराया जाएगा।

का थाना के मदरवां क्षेत्र में उषा तिवारी (52) अपनी दो बेटियों पल्लवी व वैष्णवी के साथ अपने पिता राम कृष्ण पांडेय के घर में रहती थीं। मिर्जापुर जिले के जमालपुर थाना के गौरी बहुवर में रहने वाली उपासना अपने पति धर्मेंद्र कुमार चतुर्वेदी के साथ बुधवार को अपनी बहन उषा के घर आई थीं। काफी देरी तक खटखटाने के बाद भी उषा के घर का दरवाजा नहीं खुला तो धर्मेंद्र ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस आई और दरवाजा तोड़ कर अंदर घुसी तो घर के एक कमरे में बिस्तर पर रजाई से ढका हुआ उषा का कंकाल पड़ा था। दूसरे कमरे में उनकी बेटियां पल्लवी व वैष्णवी थीं। पुलिस की पूछताछ में दोनों बहनों ने बताया कि उनकी मां बीमार रहती थी और उसी की वजह से उनकी मौत 8 दिसंबर 2022 को हो गई थी। हम लोगों के पास ऐसा कोई साधन या सहारा नहीं था कि मां के शव की अंत्येष्टि कर सकें। इसी वजह से उन्होंने मां का शव घर पर ही रहने दिया।

मौसी-नाना की देखरेख में पड़ोसी के घर हैं दोनों बहनें
उषा का कंकाल पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने के बाद पुलिस ने घर को सील कर दिया है। फिलहाल दोनों बहनें अपनी मौसी उपासना और नाना राम कृष्ण पांडेय की देखरेख में पड़ोसी रमेश सिंह के घर में हैं। दोनों बहनों से बात करने के सवाल पर उनकी मौसी उपासना ने कहा कि हमारी दोनों भतीजी स्वस्थ नहीं हैं। इसलिए उन्हें परेशान न करें। वहीं, रमेश सिंह ने बताया कि पल्लवी बार-बार उनसे 10 लाख रुपये का लोन दिलाने के लिए कहती थी। उसका कहना था कि वह बिजनेस करना चाहती है और उसके लिए पैसा चाहिए। एक अन्य पड़ोसी पप्पू सिंह ने बताया कि हम पूछते थे कि तुम लोगों की मां कैसी हैं। इस पर दोनों कहती थी कि मां ठीक हैं। पप्पू सिंह को दोनों बहनें मामा कहती थीं और उनके घर से अकसर भोजन सामग्री भी ले जाती थीं।

पत्नी की मौत के बाद भी नहीं आया पति
उषा की शादी बेल्थरा रोड क्षेत्र के अखौख निवासी देवेश्वर त्रिपाठी के साथ हुई थी। शादी के 10 साल बाद विवाद होने पर उषा अपनी बेटियों के साथ अपने मायके में रहने लगी थीं। उषा की मौत की सूचना पाकर भी देवेश्वर बनारस नहीं आए। देवेश्वर के ससुर ने पुलिस को बताया कि यह जानकारी मिली कि वह बलिया रेलवे स्टेशन तक आए थे और फिर वापस लौट गए। उनको लगा होगा कि बनारस जाएंगे तो कहीं किसी कानूनी पचड़े में न फंस जाए।

फॉरेंसिक एक्सपर्ट के न होने की वजह से पोस्टमार्टम नहीं हो पाया है। फिलहाल दोनों बहनें अपने नाना और मौसी की देखरेख में ठीक हैं।

– इंस्पेक्टर शिवाकांत मिश्र, लंका थानाध्यक्ष।

इस तरह की घटना हतप्रभ करने वाली है। मां के शव के साथ रहने वाली लड़कियों की सोच असामान्य सी हो गई थी। इस तरह की घटना में दोनों बहनों का मनोचिकित्सक द्वारा परीक्षण कराया जाना जरूरी होगा। तभी इस केस में वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सकेगा।

– प्रो. संजय गुप्ता, मनोचिकित्सक, बीएचयू

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