प्राण प्रतिष्ठा : आज नवनिर्मित मंदिर में प्रवेश करेंगे विराजमान रामलला, 23 जनवरी से भक्तों को देंगे दर्शन

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अयोध्या। प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के क्रम में शनिवार को 81 कलशों के विविध औषधियुक्त जल से रामलला के अचल विग्रह को स्नान कराया जाएगा। वहीं, अस्थायी मंदिर में विराजमान रामलला की चल मूर्ति भी शनिवार को नवनिर्मित गर्भगृह में प्रवेश करेगी। राममंदिर निर्माण के प्रभारी गोपाल राव ने बताया कि अस्थायी मंदिर में विराजमान रामलला की चल मूर्ति समेत अन्य प्रतिमाओं को शनिवार को नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कराया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा के क्रम में शनिवार को रामलला का शक्कर व फल से अधिवास कराया जाएगा। इसके लिए यज्ञ, हवन, वेदों के पारायण समेत अन्य अनुष्ठान होंगे।

अब 23 से नए मंदिर में रामलला के दर्शन
रामनगरी आने वाले श्रद्धालुओं को शनिवार से तीन दिनों तक रामलला के दर्शन नहीं होंगे। 20 व 21 को अस्थायी राममंदिर में दर्शन बंद रहेगा, जबकि 22 जनवरी को नए मंदिर में रामलला की अचल मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। इस दिन केवल प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मौजूद अतिथियों को ही दर्शन मिलेगा। आम श्रद्धालु 23 को ही नए मंदिर में रामलला के दर्शन कर पाएंगे।

राम मंदिर में स्थापित हुए नवग्रह, अचल विग्रह को जीवंत करने की प्रक्रिया शुरू
Pran Pratishtha: Today the seated Ramlala will enter the newly constructed temple, will give darshan to the de
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के क्रम में शुक्रवार को अचल विग्रह का शुद्धीकरण कर मंत्रों से प्राण डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। शुभ मुहूर्त में ठीक सुबह नौ बजे अरणि मंथन से तीसरे दिन के कर्मकांड शुरू हुए। पहले नवग्रहों को स्थापित कर पूजन किया गया। फिर मंदिर की वास्तु पूजा हुई। कर्मकांड की शुरुआत गणपति पूजन से हुई। इसके बाद जलाधिवास में विराजे रामलला को जगाया गया। द्वारपालों ने सभी शाखाओं का वेदपारायण किया। इसके बाद काशी के अरुण दीक्षित के आचार्यत्व में यजमान डॉ. अनिल मिश्र ने अरणि मंथन की प्रक्रिया शुरू की। इस दौरान लगातार अग्नि मंत्र गूंजते रहे। अरणि मंथन से प्रकट हुई अग्नि की कुंड में स्थापना की गई। इसके बाद नवग्रह का पूजन हुआ। इसी क्रम में राममंदिर का वास्तु पूजन किया गया। यह प्रक्रिया करीब 40 मिनट तक चली। रामलला को औषधि, केसर व घी में अधिवास कराया गया है। यह अधिवास शनिवार को समाप्त होगा।
यज्ञ में अग्नि प्रकट करने की वैदिक पद्धति है अरणि मंथन
काशी के आचार्य केशव शास्त्री ने बताया कि अरणि मंथन में अग्नि मंत्र का उच्चारण करते हुए अग्नि प्रकट की जाती है। फिर उसी अग्नि में हवन किया जाता है। अग्नि व्यापक है, लेकिन यज्ञ के निमित्त उसे प्रकट करने के लिए भारत में वैदिक पद्धति है जिसे अरणि मंथन कहते हैं।योद्धा स्वरूप में है रामलला का रजत विग्रह
प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए रामलला के एक रजत विग्रह का निर्माण कराया गया है। दस किलो वजन के इस विग्रह में रामलला धनुष-बाण धारण किए हैं। पूजन की कुछ विधि ऐसी हैं जिन्हें अचल विग्रह के साथ नहीं पूरा किया जा सकता, क्योंकि अचल विग्रह भारी है। उसे बार-बार हिलाया नहीं जा सकता। इसलिए पूजन की कुछ विधियां इसी रजत विग्रह के साथ पूरी की जा रही हैं। आचार्य केशव शास्त्री ने बताया कि भगवान राम ने जब रावण को मारने के लिए उसकी नाभि पर अग्निबाण चलाया था तो उस समय उनका जो स्वरूप था, उसी में रजत विग्रह निर्मित है।

मेहमानों को मिलेगा सरयू जल, कलावा, सुपारी, अक्षत व लड्डू का प्रसाद

Pran Pratishtha: Today the seated Ramlala will enter the newly constructed temple, will give darshan to the de
 रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आने वाले मेहमानों को प्रसाद के रूप में सरयू जल, कलावा, सुपारी, अक्षत व लड्डू दिया जाएगा। उदासीन आश्रम रानोपाली में गुजरात की संस्था प्रसाद के 20 हजार पैकेट तैयार करा रही है। ये पैकेट 20 जनवरी तक ट्रस्ट को सौंप दिए जाएंगे।
भगवा सेना भारत गरवी गुजरात व संत सेवा समिति कर्णावती के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमल भाई रावल ने बताया कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से उन्हें तीन दायित्व सौंपे गए हैं। उनकी ओर से रानोपाली आश्रम में महंत डॉ़ भरत दास के सहयोग से चार हजार संतों व अतिथियों के रहने, खाने की व्यवस्था की गई है। इसी क्रम में ट्रस्ट की अनुमति से समारोह में आने वाले अतिथियों के लिए प्रसाद का पैकेट भी तैयार कराए जा रहे हैं। इस पैकेट में सरयू जल, कलावा, अक्षत व सुपारी की थैली सहित दो लड्डू होंगे। यही प्रसाद मेहमानों को प्रसाद के रूप में भेंट किया जाएगा। इसके अलावा तीर्थ क्षेत्र पुरम स्थित टेंट सिटी में चार हजार साधु-संतों के लिए कंबल, तकिया व चादर की व्यवस्था भी की गई है। सामान की चार हजार किट ट्रस्ट को सौंप दी गई है।
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