रायसीना डायलॉग 2025 : जयशंकर ने पश्चिमी देशों के दोहरे रवैये पर उठाए सवाल
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक कश्मीर पर सबसे लंबा अवैध कब्जा
नई दिल्ली। रायसीना डायलॉग 2025 के दूसरे दिन विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वैश्विक राजनीति में निष्पक्षता और संप्रभुता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने पश्चिमी देशों के दोहरे मानकों पर सवाल उठाते हुए कहा कि कश्मीर पर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक का सबसे लंबा अवैध कब्जा बना हुआ है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कश्मीर मुद्दे पर पश्चिमी देशों के रुख पर आपत्ति जताते हुए कहा कि भारत के जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर सबसे लंबे समय से एक विदेशी ताकत का अवैध कब्जा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 1947 में भारत की आजादी के दो महीने बाद ही पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के कुछ हिस्सों पर आक्रमण कर कब्जा कर लिया था। इसके अलावा, चीन ने 1950 और 1960 के दशक में इस क्षेत्र पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, कि हम संयुक्त राष्ट्र में एक आक्रमण को लेकर गए थे, लेकिन इसे विवाद बना दिया गया। हमलावर और पीड़ित को एक ही स्तर पर रख दिया गया। दोषी पक्ष कौन थे? इसी के साथ उन्होंने पश्चिमी देशों की भूमिका की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इन देशों ने जानबूझकर पाकिस्तान के आक्रमण को कूटनीतिक विवाद में बदल दिया। इसलिए मेरे इस विषय पर कुछ सवाल हैं। जयशंकर ने यह भी कहा कि यह दिखाता है कि कैसे पश्चिमी ताकतों ने कश्मीर की वास्तविकता को तोड़-मरोड़कर पेश किया। उन्होंने राजनीतिक हस्तक्षेप पर पश्चिमी देशों के नजरिए की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सरकारें अपने देश में व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्य करती हैं, उसी प्रकार वैश्विक स्तर पर भी ऐसा किया जाना चाहिए।
अफगानिस्तान का मुद्दा भी उठाया
अफगानिस्तान के राजनीतिक परिदृश्य पर बोलते हुए जयशंकर ने पश्चिमी देशों के दोहरे रवैये की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में तालिबान का उत्थान, पतन और फिर से उभरना इसी पाखंड का परिणाम है। उन्होंने यह भी इंगित किया कि कैसे तालिबान, जिसे कभी चरमपंथी माना जाता था, अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर सूट-टाई पहनकर दिखाई देता है। जयशंकर ने चुटकी लेते हुए कहा, वे तालिबान जिनकी कभी आलोचना होती थी, अब दोहा और ओस्लो प्रक्रियाओं में सम्मानपूर्वक भाग लेते हैं। लेकिन अब भी अफगानिस्तान की बिगड़ती स्थिति के लिए उन्हीं को जिम्मेदार ठहराया जाता है।
पैनल में कौन-कौन रहे शामिल?
इस महत्वपूर्ण चर्चा में जयशंकर के साथ लिचेंस्टीन की विदेश मंत्री डोमिनिक हसलर, स्लोवाक रिपब्लिक के विदेश मंत्री जुराज ब्लानर और स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री कार्ल बिल्ड्ट भी शामिल हुए।
कब तक चलेगा सम्मेलन?
तीन दिवसीय यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 19 मार्च 2025 तक जारी रहेगा, जिसमें दुनिया भर के नेता और नीति निर्माता वैश्विक चुनौतियों और कूटनीति पर चर्चा करेंगे।