Rajya Sabha: राज्यसभा में खरगे ने लिया भागवत का नाम, फिर कहा- रिकॉर्ड से हटा दीजिए, नाराज धनखड़ ने लगाई फटकार

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नई दिल्ली। दो दिन के अवकाश के बाद सोमवार को फिर से लोकसभा और राज्यसभा का सत्र शुरू हुआ। केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग, नीट और अग्निपथ जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा। इस दौरान दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। वहीं, राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और स्पीकर जगदीप धनखड़ के बीच फिर से ठन गई। दरअसल, खरगे ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए मोहन भागवत का नाम ले लिया, जिस पर धनखड़ गुस्सा हो गए। मल्लिकार्जुन ने कहा, ‘सबसे पहले मैं आपकी उदारता का धन्यवाद देता हूं, जो आपने मुझे बोलने का समय दिया।’ इतना ही सुनते वहां मौजूद सब लोग हंसने लगे। इस पर खरगे ने पूछा आप लोग हंस क्यों रहे हैं।

राष्ट्रपति संसद का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा
राज्यसभा की कार्यवाही आगे बढ़ी और खरगे ने कहा, ‘राष्ट्रपति संसद का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, हम उनका सम्मान करते हैं। चुनौतियों से कैसे निपटेंगे यह बताना जरूरी था, लेकिन कुछ ऐसा तो सुनाई ही नहीं दिया। इस साल राष्ट्रपति का पहला संबोधन जनवरी में और दूसरा जून में था। पहला अभिभाषण चुनावी था और दूसरा उसकी कॉपी था। उनके संबोधन में दलितों, अल्पसंख्यक वर्गों और पिछड़े वर्गों के लिए कुछ नहीं था। राष्ट्रपति के अभिभाषण में न तो दूरदृष्टि थी और न ही दिशा। पिछली बार की तरह, यह सरकार के लिए प्रशंसा के शब्दों से भरा था।’

सुधांशु त्रिवेदी का भूले नाम
उन्होंने सुधांशु त्रिवेदी पर हमला करते हुए कहा कि इतनी तारीफ तो हमारे दुबेदी साहब भी कभी-कभी गलती से कर देते हैं। खरगे ने आगे कहा, ‘माफ करना मुझे तिवारी, दुबे, दुबेदी में अंतर समझ नहीं आता क्योंकि मैं इन शब्दों से ज्यादा वाकिफ नहीं  हूं। इस पर जगदीप धनखड़ ने कहा कि क्या अब हम इस पर आधा घंटा चर्चा करेंगे कि तिवारी कौन हैं। खरगे ने आगे कहा, ‘तारीफ के पुल बांधने में माहिर हैं। लेकिन वह लोगों से नफरत भी उतनी ही करते हैं। क्योंकि उनका आरएसएस से संबंध नहीं है, मगर वह जबसे भाजपा में आए तो वह आरएसएस की तारीफ करते रहते हैं। सबसे ज्यादा पंडित जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी जैसे लोगों का खंडन भी करते हैं। इस पर राज्यसभा में जोरदार हंगामा होने लगा। सुधांशु त्रिवेदी से धनखड़ ने बोला कि आप शांति बनाए रखें। हम आपको बोलने का समय देंगे। हालांकि, हंगामे के बीच धनखड़ ने बोलना जारी रखा। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति ने कहा कि हम साथ मिलकर काम करेंगे। इस भाव से किसी को कोई इनकार नहीं है। हालांकि यह 10 सालों में सिर्फ भाषण में ही रहा है, जमीनी हकीकत में नहीं कभी बदला।

आरएसएस को लेकर खरगे और नड्डा से खरगे की बहस
खरगे ने भाजपा और आरएसएस पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली पर भाजपा-आरएसएस का कब्जा है। विवि के वाइस चांसलर से लेकर प्रोफेसर तक हर जगह आरएसएस का कब्जा है। इस पर सदन में जमकर हंगामा हुआ। इस पर धनखड़ ने कहा कि इसे रिकॉर्ड में नहीं लिया जाएगा। इसके बाद खरगे लगातार तर्क देते रहे और सभापति के फैसले का विरोध करते रहे। धनखड़ ने कहा कि क्या किसी संस्था का सदस्य होना अपराध है। कोई व्यक्ति आरएसएस का सदस्य है तो क्या यह अपराध है। वह संस्था भी देश के लिए काम कर रही है। इस पर धनखड़ ने कहा कि उनकी विचारधारा देश के खिलाफ है। ये मनुवादी विचारधारा के लोग हैं। इस पर केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि खरगे आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं। इसे रिकॉर्ड में नहीं लिया जाना चाहिए। 

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